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10 Dec 2025 · 1 min read

स्लेट से कीबोर्ड तक

तख्तियों पे क ख ग घ खड़िया से लिखे तब,
पाए थे कलम औ दवात बचपन में।

फिर आया नीब और फाउन्टेन पेन आदि,
था भरा उमंग उस दिन तन-मन में।

हम ही वो पीढ़ी हैं जो स्लेट से कीबोर्ड तक,
देखा हर दौर भाई अपने जीवन में।

बोलकर लिखना भी हमने है सीख लिया,
शून्य से शुरू हुए थे छा गए गगन में।

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 10/12/2025

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