बीकानेर टू जैसलमेर @@कहानी प्रथम क़िश्त ( अगले किश्त में स
बीकानेर टू जैसलमेर @@कहानी प्रथम क़िश्त ( अगले किश्त में समाप्त)
संजय अपने एक दोस्त अनूप के साथ किसी काम से दुर्ग से बीकानेर आया था . वास्तव में उसे एक राष्ट्रीय स्तर की कंपनी “ विशवास “ जो भुजिया बनाती थी की फ्रेंचाइसी लेनी थी . दो दिनों में उनका काम हो गया . उसे फ्रेंचाइसी मिलाने का आश्वासन मिल गया था . इस हेतु उन्हें १५ लाख रुपये कंपनी में जमा करना था . संजय ने तुरंत ही अपने साथ लाये ५ लाख रुपये जमा कर दिए . जिसकी रशीद भी उसे मिल गई . अब १ महीने के भीतर उसे १० लाख रुपये जमा करना था . संजय ने पैसों का घर बीकानेर में इंतजाम पहले ही कर लिया था . संजय ने १ महीने के बाद वापस बीकानेर आकर शेष रकम जमा करने का वादा कंपनी के सीईओ को किया और अपने होटल चले गए . होटल में संजय और अनूप ने खाना खाया और प्लान बनाया कि यहां से जैसलमेर चला जाय और हो सके तो जैसलमेर में ठहर कर पाकिस्तान कि सीमा तक घूम कर आया जाय . अगले दिन दोनों एक कैब किराया में लेकर जैसलमेर कि और रवाना हो गए . ३५० किमी का सफ़र लगभग ६ से ७ घंटों में पूरा होने वाला था . कुछ देर दोनों बाहर के दृश्य का आनंद लेटे रहे फिर सो गए . कुछ देर बाद संजय के दोस्त अनूप कि आंखे खुली तो उसे अहसास हुआ कि कोई जीप उनकी पीछा कर रही है . उसे समझ नहीं आया आखिर ऐसा क्यूं ? उसने तुरंत ही संजय को उठाया और अपनी शंका से संजय को अवगत कराया . संजय ने भी इस बात का ध्यान दिया तो उसे लगा कि अनूप की शंका सही हो सकती है . पर कुछ देर बाद पीछे आने वाली जीप उनकी आँखों से ओझल हो गयी तो उनका मन शांत हुआ. वे दोनोँ फिर आँख बंद करके सो गए . लगभग ४ घंटे के सफ़र के बाद उनकी कैब एक झटके से रुक गई . दोनोँ घबरा कर उठ गए और ड्रायवर से पूछने लगे कि क्या हुआ ? ड्रायवर ने बताया कि एक जीप हमारे कार के आगे खड़ी हो गई है और हमारा रास्ता रोक रही है . इतने में सामने वाली जीप से ४ आदमी उतरे उन सबके हाथों में असलहे थे . उनमे से एक लंबा चौड़ा आदमी संजय के पास आया और अपना नाम रौनक बताते हुए कहा कि आप लोग हमारी जीप में बैठ जाएँ आप लोगों को अब हमारे साथ हमारे बॉस के पास जाना है . ये समझ लीजिये कि आप लोगों का अपहरण हो गया है . संजय और अनूप अचरज में पड़ गए साथ ही डर भी गए . संजय को तभी यह अहसास हुआ कि इस इंसान को मैंने बीकानेर के होटल में देखा हूँ . मतलब यह हुआ कि ये लोग होटल से ही हमारी जानकारी भी हासिल किये हैं और वहीँ से हमारे पीछे हैं . वे दोनोँ डरते हुए उनकी जीप में बैठ गए . उनकी आँखों में पट्टी बाँध दी गई . फिर गाड़ी तेजी से आगे बढ़ने लगी . लगभग एक घंटे के सफ़र के बाद गाड़ी रुकी और उन्हें उतारा गया . उनकी आँखों की पट्टी खोली गई तो उन्हें एहसास हुआ के वे लोग रेत के समंदर के बीचों बीच एक बड़े से मकान के आगे खड़े हैं . उन दोनों के हाथ बाँध कर मकान के अंदर ले जाया गया . अंदर से मकान का छेत्रफल बहुत बड़ा नजर आया . वहां उन दोनों को खाट पर बैठा गया और सामने एक कुर्सी जमा दी गई . उसके बाद उन्हें बताया गया कि उनके बॉस १५ मिनटों में उनके सामने आयेंगे और उनसे बातें करेंगे . इस बीच जब तक वे स्वीकृति न दें तब तक तुम दोनोँ को चुप रहना है . फिर वे दोनोँ मकान से बाहर निकल गए . संजय और अनूप बिलकुल खामोश खाट पर बैठे रहे . ठीक १५ मिनटों बाद एक ६ फुटिया व्यक्ति झोपड़ी के पिछले हिस्से से अंदर आया और उनके सामने रखी कुर्सी पर बैठ गया . फिर बिना किसी औपचारिकता के वह कहने लगा आप दोनोँ का अपहरण हो गया है . हमें मालुम है संजय जी कि आप बड़े मालदार आदमी हैं . आप लोगों के बीकानेर के होटल पहुंचने के बाद आपकी एक एक बात को हम जानते हैं . जिस होटल में आप रुके थे वह हमारा ही होटल है . अपहरण हमारा व्यवसाय है . यह काम हमारा ग्रुप बरसों से कर रहा है . यहां की पुलिस सब कुछ जानती है पर हमारे विरुद्ध कार्यवाही नहीं कर सकती . इसका कारण है कि हम उन्हें भरपूर पैसा देते हैं . यहां के राजनीतिज्ञ भी हमारे द्वरा खरीद लिए गए हैं . अत: कोई चालाकी करने कि कोशिश मत करना वरना जान से हाथ धो बैठोगे . आपको अब यहां से तभी मुक्ति मिलेगी जब आप से हमें २० लाख रुपये मिल जायेंगे . अन्य कोई भी रास्ता आप लोगों को मौत की और ले जाएगा . आप लोगों को १ महीने की मोहलत दी जाती है . अगर ३० दिनों के भीतर हमें पैसा नहीम मिला तो आप लोगों को पाकिस्तान बार्डर के अंदर पहुंचा दिया जाएगा . उसके बाद क्या होगा हमें नहीं मालूम ? ऐसी धमकी देने के बाद उसने कहा कि मेरा नाम जोरावर है . मैं इस समूह का मुखिया हूँ . अधिक से अधिक तीस दिनों तक आप लोगों कि खातिरदारी की जायेगी उसके बाद आप लोगों का क्या हश्र होगा हमें भी नहीं मालुम . इसके बाद जोरावर ने आवाज देकर बाहर खड़े अपने लोगों को अंदर बुलाकर कहा कि मैं जा रहा हूँ . आप लोग यहीं रहें और इन दोनोँ का उचित ख़याल रखें . बीच बीच में आप लोगों से सम्पर्क में रहूंगा . इनके द्वारा पैसा आ जाए या और कुछ विशेष बातें हो तो मुझे बताना . इसके बाद जोरावर जी वहां से चला गए . समय बीतता गया संजय को मालुम था कि उसकी हैसियत इतनी नहीं है कि वह बीस लाख रुपियों का इन्तजाम करके किसी को फिरौती के रूप में दे दे . संजय ने जोरावर के साथियों मो लगातार बताते रहा कि आप लोग गलत और एक कमजोर आर्थिक स्थिति वाले व्यक्ति को पकड़ लिया है . मैं एक छोटा व्यापारी हूँ . मेरे पास अपनी दूकान में बहुत समय मिलता है . कुछ समय से खाली वक्त में मैं कविता लिखने कि कोशिश करता हूँ , हालाकि कविता लिखने से कोई आर्थिक लाभ तो नहीं होता पर यह धीरे धीरे यह मेरा पैसन बनाते जा रहा है . मैंने कुछ बड़ा काम करने के लिए “ विशवास ग्रुप “ की फ्रेंचाइसी खरीदने के लिए कई जगहों से उधार में पैसा लिया हूँ . मुझे विश्वास था कि इस फ्रेंचाइसी के बदौलत मैं सफलता के शिखर छू लूंगा और फिर मेरे घर में पैसों की बरसात जरुर होगी . इसमें कितन समय लगेगा मैं नहीं जानता पर मैं आप लोगों से वादा करता हूँ कि जब भी मेरे पास पैसा आ जाएगा आपकी मांग को जरुर पूरा करूंगा . अभी मुझे छोड दीजिए . इसके अलावा मेरे साथ आये अनूप को तुरंत रिहा कीजिये . वो बिचारा तो मेरा साथ देने ही आया था . वह कुछ भी नहीं करता उसके पास तो अपने घर चलाने के लिए भी उचित पैसा नहीं है . मेरी बात को जोरावर जी तक पहुंचा दीजिए ताकि वे कुछ सही निर्णय ले सके . मुझे उनसे मिलाने का अवसर दीजिए तो मैं उनके पैर पकड़ कर अपनी कमियों को बताउंगा . तब शायद उनकी सोच में बदलाव आये. तब जोरावर के आदमी रौनक ने संजय को बताया कि जोरावर का घर यहां से ५० किमी दूर स्तुत एक गाँव लोदुरवा में है . वहीँ उनका परिवार रहता है .
(क्रमशः)