कुण्डलिया छंद !
!! श्रीं!!
सुप्रभात!
जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
🙏
महिमा शब्दों की बड़ी, शब्द दिखाते खेल।
वैर कराते शब्द ही, शब्द कराते मेल।।
शब्द कराते मेल, शब्द ही रस बरसाते।
कटुता का हो भाव, शब्द ही विष बन जाते।।
तोल कसौटी बोल, शब्द ही रखते गरिमा।
‘ज्योति’ कहे समझाय, विकट शब्दों की महिमा ।।
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महेश जैन ‘ज्योति,
मथुरा ।
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