शीर्षक :- भारत में इस्लाम का आगमन
शीर्षक :- भारत में इस्लाम का आगमन
तलवार नहीं थी हर क़दम पर,
नफरत का कोई परचम नहीं था,
सौदे थे खुशबू, रिश्ते थे सच्चे,
जब सागर किनारे कोई ग़म नहीं था।
मालाबार की लहरों ने आकर,
अरब की साँसों का गीत सुनाया,
एक ईश्वर का मीठा सन्देश,
दिलों ने चुपचाप अपनाया।
सूखे रेगिस्तान की रेत से,
जो पैग़ामे-हक़ लेकर आया,
वो सूफ़ी बनके गली-गली में,
प्यार का चिराग़ जलाया।
अजमेर, दिल्ली, हर आँगन में,
फैला भाईचारे का उजियारा,
मोइनुद्दीन, निज़ाम का साया,
बन गया इंसानियत का सहारा।
712 की उस एक सुबह में,
इतिहास ने करवट बदली थी,
सिंध की धरती ने पहली बार,
एक नई सुबह देखी थी।
पर याद रहे ये शाज़ की बात —
मज़हब नहीं होता तलवार का,
ये तो दिल के दस्तक से आता,
ये रास्ता है सिर्फ़ प्यार का…
(युवा कवि स्वरचित रचनाकार सिदो-कान्हू क्रांति भूमि बरहेट सनमनी निवासी)