जन्मदिन है कि दिखावा!
है नहीं जरूरी किंतु इसको मनाने हेतु,
चार-पाँच लोगों से उधार ले के आएंगे।
हित-मीत सबको बुलाएंगे दबाव से ये,
मछली या मीट गाँव भर को खिलाएंगे।
डी जे मँगवा के ये बजाएंगे फ़ूहड़ गीत,
बच्चे-बच्चियों को रात भर नचवाएंगे।
अपने समाज का रिवाज नहीं जन्मदिन,
किंतु समझाओ तो ये खूब गरिआएंगे।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 05/12/2025