Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
6 Dec 2025 · 1 min read

सर्दी की दस्तक

बाल कविता…
——————-
सर्दी का है यह कहना,
आई मैं, बच कर रहना।

सूरज ने तरसाया है,
देरी से अब आया है।

पंछी चीं-चीं करते हैं,
सूरज को ही तकते हैं।

शाम हुई, ओढ़ रजाई,
पकड़ी सब ने चरपाई।

हद से ज्यादा ठिठुरन आज,
मुश्किल हैं अब सारे काज।

टोपी-स्वेटर यह जैकिट,
सर्दी है तुम रहना फिट।

दस्ताने-मोजे-मफलर,
निकलो घर से अब कसकर।

अब दादी की निकली हाय,
मांगें अदरक वाली चाय।

मन सबका ही बोझिल है,
आज नहाना मुश्किल है।

सूरज जल्दी आना तुम,
धूप सुनहरी लाना तुम।

Loading...