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5 Dec 2025 · 1 min read

गुजरे तो ग्यारह महीने भी न थे आसान,

गुजरे तो ग्यारह महीने भी न थे आसान,
दिसंबर आया तो ज़ख़्मों पर बर्फ-सी जम गई।
-महेंद्र ‘मजबूर’

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