शीतल सर्द समीर से, सहन सभी सुनसान।
शीतल सर्द समीर से, सहन सभी सुनसान।
भक्त भजन भगवान की, करता चादर तान।।
शिवा संग शंकर सुनो, सहमाता यह शीत।
करुणाकर करिए कृपा, भक्त न भयभीत।।
सर्द सलिल संकट सहज, सहते सब श्रीमान।
सौम्य सबेरा शीत सह, सुने श्रवण शिव गान।।
सुबह-सुबह कर साधना, जपते शिव का नाम।
शीतलता चित में रहे, मन में हों श्री राम।।
पावन मन “पाठक” सदा, करता शिव का जाप।
कृपा करो प्रभु दास पर, रहें सदा निष्पाप।।
:- राम किशोर पाठक (शिक्षक/कवि)