शुभ मुहूर्त
दोहा मुक्तक
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होते शुभ मुहूर्त लिए, शादी और विवाह।
स्नेह भाव की सहज ही, बढ़ जाती है चाह।
सुखी और सम्पन्न हो, सबका प्रिय परिवार।
जीवन में आगे बढ़ें, लिए खूब उत्साह।
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शुभ विवाह की रस्म है, पाणिग्रहण संस्कार।
जीवन भर के साथ का, बनता यह आधार।
पति-पत्नी आगे बढ़ें, स्नेह भाव के साथ।
हो जाते हैं इस तरह, स्वप्न सभी साकार।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य