चुनावी त्यौहार
चुनावी त्यौहार चल रहा था हमारे शहर के कुछ छुटभैय्ये नेता जो विगत् कई वर्षो से दूसरे बड़े (प्लेट) नेताओं की चमचागिरी क्षमा कीजियेगा ! वफादारी करते चले आ रहे थे उन लोगों की वफादारी देखकर हाईकमान ने उनमें से एक भैय्यालाल नाम के वफादार चम्मच को पहली बार टिकट प्रदान कर ही दी किन्तु इस गंभीर हादसे के कारण बाकी छुटभैय्ये नेताओं के पाँव तले जमीन खिसक गयी वे नाराज होकर पार्टी और भैय्यालाल जी के खिलाफ जिहाद छेड़कर उनके विरूद्ध चुनाव मैदान में उतरने से पूर्व तैयारियों की लगोंट कस रहे थे किंतु अक्सर जैसा भारतीय राजनीति में होता है गर्म लोहा अंत में ठंडा पड़ता है फिल्मों में तो विलन ही पिटता है। बस ! उसी तर्ज पर इस बार भी हाईकमान ने जितने भैय्यालाल जी के खिलाफ भौ-भौ कर रहे थे सभी को धन और पद रूपी हड्डी फेंक कर चुप करा दिया जैसा पंखा वाले बाबा चुनाव में पत्रकारों को करते है। बस ! अब यह हाल था कि सारे की सारे माँस छोड़कर हड्डी चबाते भैय्यालाल जी को जिताने मैदान में आ गये विरोधी दल की सक्रियता के पश्चात, साम, दाम, दंड, भेद की योजना को पंचवर्षीय योजना के समान लागू कर गिद्ध के भाँति प्रचार प्रसार में टूट पड़े तभी अचानक एक दिन सुबह-सुबह हमारे निवास में श्मशान घाट की लकड़ी का बना दरवाजा किसी ने खटखटाया हमने सोचा – शायद कोई कवि-सम्मेलन का आयोजक कार्यक्रम के लिए बुक करने आया होगा या फिर कोई कवि-मित्र ताजा तरीन कविता सुनाने आया होगा बस बिस्तर से उठते ही जैसे ही हमने उत्सुकतावश नींद के झोंके में दरवाजा खोला तो सफेद पैजामा कुर्ता पहने वोटो का भिखारी पूरी अपनी जमात के साथ खड़ा था। नींद के नशे में हमने उसे भिखारी समझकर अपना तकिया कलाम “रास्ता नाप जड़ दिया। तभी पास ही एस.पी.जी., की तरह सतर्क खड़े प्यारेलाल नामक चम्मच ने हमें समझाते हुए कहा साहब ये हमारे कर्तव्य निष्ठ जुझारू पचास वर्षीय युवा लाडले नेता भैय्यालाल जी है जो आप लोगों की सेवा भावना दृष्टी से इस बार “कटोरा”चुनाव चिन्ह्न लेकर आपके क्षेत्र से चुनाव मैदान में विकास की गंगा बहाने का स्वप्न लिए खड़े है जो आपका आशीर्वाद लेने आये है। हमने भी विजयी भव का आर्शीवाद दे ही दिया नेताजी फूलकर कुप्पा हो गये और अपने कुनबे के साथ गुजर गए अर्थात् आगे की ओर कूच कर गए। शाम को भैय्यालालजी की विशाल आमसभा होने वाली थी मंच तैयारी का कार्य भैय्यालाल जी के खासमखास प्यारेलालजी को सौंप दिया गया था। प्यारेलालजी ने भी नगरपालिका के सफाई विभाग की तरह सबसे पहले मैदान की सफाई में ध्यान दिया जहाँ भैय्यालालजी की विशाल आमसभा सम्पन्न होने जा रही थी उन्होंने मैदान के कंकर-पत्थर बम स्कॉट की तरह बारीकी से ढूंढवाकर फिकवा दिया क्योंकि वे पूर्व की तरह कोई रिस्क या जोखिम नहीं लेना चाहते थे तभी उन्होनें कार्यकर्ताओं को झंडा गड़ाने का आदेश दिया किन्तु इधर कार्यकर्ता पैग पे पैग मारकर परेशान थे झंडा न मिलने से बड़े हैरान थे। आखिरकार एक सुरागी बोला-दबे स्वर में भेद खोला- हुजूर ! झंडा नही है तभी प्यारेलाल जी ने क्रोधित स्वर में वरिष्ठ नेता की तरह फटकार लगाई और एक पैग मारकरघर में उस स्थान में पहूँचे जहाँ प्यारेलालजी की धर्म पत्नी का मैला कुचेला पेटीकोट प्यारेलालजी की चुनावी व्यस्तता के कारण कई दिनों से धुलने की बाट जोह रहा था । नशे व अंधेरे में प्यारेलालजी उसे झंडा समझकर उठा लाये और उसे टांगने का फरमान जारी कर दिया तभी कार्यकर्ता चिल्लाये साहब डंडा भी नही है बस प्यारेलाल जी का नशा काफूर हो गया नेतागिरी दिखाते हुए उन्होंने कार्यकर्ताओं को चिल्लाया कि श्मशान घाट में कोई अर्थी आयी होगी मेरा नाम बताकर एक बाँस माँग लाओ और भैय्यालाल जी के आने से पहले यह झंडा चढ़ाओ तभी कार्यकर्ताओं ने बिजली सी स्फूर्ति दिखाई बाँस ले आये डंडा गाड़कर झंडा टांग दिया इधर भैय्यालाल जी के चमचों ने भी बेरोजगारों को पद व धन का लालच देकर भीड़ बढ़ाने भैयालाल जी के स्वागत सत्कार हेतु बुलवा लिया इतनी गजब की तैयारी किसी प्रधानमंत्री की विशाल आमसभा से कम न थी। इण्डियन टाइम के अनुसार समय से ठीक दो घंटे लेट भैय्यालाल जी पहुँचने वाले थे तब तक भैय्यालालजी जी के खासमखास चम्मच प्यारेलाल जी ने मौका मिलते ही मंच की बागडोर संभाल रखी थी उन्हें भी किसी विभाग का अध्यक्ष बनाने का लालीपाप दिया गया था। प्यारेलाल जी जोश में होश खोकर मदहोश हालत में भाषण पे भाषण पेल रहे थे हम भी चैकन्नी निगाह से उसे चैऐ छक्के की तरह झेल रहे थे। प्यारेलाल जी बोले-भैय्यालाल जी सूरज है तो हम उनकी किरण है वे चाँद है तो हम तारे है। तभी पीछे से आवाज आई वो प्लेट है तो तुम चम्मच हो, भाषण में व्यंग्य और मस्ती का माहौल देखकर प्यारेलाल जी ने अपना भाषण पूर्ण किया तभी भैय्यालाल जी का समय हो गया और जान, मान, शान कहलाने वाले भैय्यालाल जी ने अपने चम्मचों के सुरक्षा घेरे में मंच पर प्रवेश किया और जानबूझकर की गयी विलम्बता को व्यस्तता बताकर जैसे ही उन्होनें कार्यक्रम में अपना भाषण देना आरंभ किया तभी अचानक कुछ कुत्ते मंच की ओर भौंकने लगे हमने सोचा शायद खून-खून को पहचान गया है तभी भैय्यालाल जी को गुस्सा आया उन्होने मंच पर जबरन चढ़े एक कुत्ते को जोर से लात मार दिया कुत्ता नेताजी को गुस्से से काटता इससे पहले कुत्ते का साथी मित्र कुत्ता बोला-नेता तो इंजेक्शन लगवाकर बच जायेगा मगर तू इंजेक्शन कहां से लायेगा तब तक कार्यकर्ताओं ने कुत्ते को भगा दिया कुत्ते ने भी नेता जी को अभयदान दे दिया नेताजी बेफिक्र होकर भाषण देने में इस तरह तल्लीन हो गये मानो ! बकरा काटने में कोई कसाई। नेताजी बोले आप हमारा यह चुनावी झंडा और ऐजेण्डा दोनो ही देख रहे है। यह झंडा हमारी पार्टी की वीरता का प्रतीक है। हमने अत्याचार अन्याय गुलामी की लड़ाई इसी के अंदर लड़ी है मैं इसका बहुत सम्मान करता हूँ इसको बारम्बार नमन और प्रणाम करता हूँ। नेताजी ने नशा कम होते देख कर एक जाम अंदर जाकर पिया फिर शराब बंदी पर जोरदार भाषण दिया। भाषण समाप्ति के पश्चात् जब भैय्यालाल जी ने लोगों से समस्याएँ माँगी तो एक ग्रामीण बड़ी आशा के साथ समस्या लेकर गया महोदयजी हमारे गाँव का शौचालय बड़ा खराब है। नेताजी ने भी टालने का प्रयत्न किया मैं क्या कर सकता हूँ ग्रामीण बोला केवल मुंह भर चला दीजिए वह साफ हो जायेगा। नेताजी आगे कुछ समझ पाते इससे पहले बच्चे भैय्यालाल जी नमस्ते कहकर चिल्लानें लगे भैय्यालाल जी ने उत्सुकतावश पूछा-क्या तुम लोग भी मुझे चाहते हो इसिलिये मेरा नाम प्यार से पुकारते हो ? वे सहज बोले-हमारे क्षेत्र में जो भी “झक्की या पागल किस्म का दिखता है हम उसे भैय्यालाल जी चिढ़ाते है। कुछ दिनों पश्चात् ज्ञात हुआ भैय्यालाल जी भारी बहुमतों से विजयी हो गए हमने भैय्यालालजी को बधाई देने के लिये उनके निवास की ओर प्रस्थान किया भैयालाल जी चुनाव जीतने की खुशी में सुंदरकांड की जगह घोटालाकांड सुन रहे थे तभी ग्रामीण किसान बोला-साहब ! यह चुनाव क्या होता है ? हमने कहा-जो भी अपने पक्ष में ज्यादा से ज्यादा मूर्ख बना ले वही आजकल चुनाव है !
• विशाल शुक्ल