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4 Dec 2025 · 1 min read

शीर्षक: सुबह की सुर्ख़ियाँ

शीर्षक: सुबह की सुर्ख़ियाँ

कैसे पढ़ूँ मैं सुबह-सुबह अख़बार,
हर पन्ना जैसे करता है दिल पर वार।
ख़बरें नहीं अब, आता लाशों की कतार, जो ख़ून से लथपथ आता है अख़बार ।
— कवि शाज़ ✍🏼

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