शीर्षक: सुबह की सुर्ख़ियाँ
शीर्षक: सुबह की सुर्ख़ियाँ
कैसे पढ़ूँ मैं सुबह-सुबह अख़बार,
हर पन्ना जैसे करता है दिल पर वार।
ख़बरें नहीं अब, आता लाशों की कतार, जो ख़ून से लथपथ आता है अख़बार ।
— कवि शाज़ ✍🏼
शीर्षक: सुबह की सुर्ख़ियाँ
कैसे पढ़ूँ मैं सुबह-सुबह अख़बार,
हर पन्ना जैसे करता है दिल पर वार।
ख़बरें नहीं अब, आता लाशों की कतार, जो ख़ून से लथपथ आता है अख़बार ।
— कवि शाज़ ✍🏼