आओ बहन चुगली करें
व्यंग्य
आओ बहन चुगली करें
बहन -बहुत दिन से चुगली करने का मन कर रहा है। क्या करूं?
तू रहने दे। हर वक्त आग लगाती रहती है।
-मैं आग कहां लगाती हूं। आग तो मेरे अंदर लगी हुई है।
रहने दे। तुझे मैं अच्छी तरह जानती हूं। तूने रेखा से मेरी लड़ाई करा दी?
-मैं क्यों कराती? वो तो मेरी भी बेस्ट फ्रेंड है। लेकिन…?
लेकिन क्या? तू लेकिन वेकिन रहने दे। चुगली ही करेगी?
-चलो। रेखा की बात नहीं करती। सुनो, सुधा तुम्हारे बारे में कुछ बोल रही थी?
क्या..???
-वो कह रही थी…?
क्या कह रही थी? जल्दी बोल।
-वो कह रही थी…सुषमा वैसे तो ठीक है। लेकिन अपने आप को बनती बहुत है?
वो क्या कम बनती है? हर वक्त उसका चेहरा नकली लगता है।
-उसके रेखा ने कान भरे। वरना वह तो ठीक थी।
जरूर रेखा ने इधर उधर किया होगा।
चुगली 2
-बहन तूने देखा। अपनी कॉलोनी का तो माहौल ही खराब हो गया?
क्या हुआ?
-अरे वही। जो आजकल हो रहा है।
क्या?
-पड़ोस की लड़की किसी और के साथ जा रही थी?
तो क्या हुआ? जाने दे।
-कैसे जाने दूं? हमने तो ऐसा नहीं किया?
तो…तेरी बेटी ने कर लिया। लव मैरेज।
और तुमने ? तुमने तो भागकर शादी की।
( थोड़ी देर खामोशी। फिर नई चुगली शुरू)
चुगली का अपना मज़ा है। यह खुजली है। जितनी खुज़ाओ, उतनी अच्छी लगती है। अपनी स्किन देखो। खुजाते खुजाते लाल हो गई। फिर भी मज़ा दे रही है। जैसे भोजन में नमक। वैसे, जीवन में खुजली। वैसे ही चुगली।
चुगली निदेशालय ने एक निविदा निकाली..
” समस्त पंजीकृत चुगलखोरों/ ठेकेदारों/ फर्मों/ को सूचित किया जाता है कि पांच नग चुगली इधर से उधर करनी है। पेमेंट शहर के प्रसार केंद्रों पर दिया जाएगा। पहले आओ पहले पाओ को वरीयता।”
अहर्ताएं
1.घंटों बालकनी में खड़े होने/ताकाझांकी का अनुभव
2. ऑफिस की टिफिन राजनीति में डिप्लोमा
3. “अरे तुम्हे पता है ” बोलकर राज उगलवाने का पांच वर्ष का अनुभव
4. धीरे से फुसफुसाने की परंपरिक योग्यता
5.बात में 90% नमक-मिर्च और मात्र 10% सच्चाई मिलाने की कला
शर्तें
नेटवर्क: धोबी, दूधवाला और कामवाली बाई से सीधा संपर्क होना अनिवार्य है।
2.पान या चाय की दुकान पर बैठने का सर्टिफिकेट
3. किटी पार्टी की पांच बड़ी चुगली दें जिससे आग लगी हो
4. शर्तें समान रूप से सभी विभागों पर लागू।
नेटवर्क
मुंह से लेकर मोबाइल तक।
समय सीमा: ताज़ा खबर बासी होने से पहले (अधिकतम 10 मिनट में) पहुंचानी होगी।
विवाद: यदि चुगली पकड़ी गई, तो विभाग की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। सारा दोष सुनने वाले के “कानों” पर मढ़ा जाएगा।
नोट: निविदाएं जमा करने का स्थान ‘शाम वाली चाय की टपरी’ या ‘पार्क वाली बेंच’ है। लिफाफे के ऊपर मोटे अक्षरों में “इधर की बात उधर” लिखा होना चाहिए। या मोटे अक्षरों में लिखें… चुगली।
तालिका
घर-घर चुगली 100 नग =इधर से उधर।
ऑफिस की चुगली 5 नग=कुछ सुना क्या?
पॉलिटिकल 25 नग,=उसको नहीं, मुझे टिकट
बिजनेस 15 नग= उसकी नहीं चल रही( दुकान)
अखिल भारतीय चुगली संघ से पंजीकृत चुगलीबाजों को वरीयता।
हस्ताक्षर:
(अस्पष्ट
सूर्यकांत
03.12.2025