कुंडलिया
कुंडलिया
छोटी-छोटी बात पर, लगे पूछने आप।
ईश्वर हमसे हो गया, कौन जन्म में पाप।।
कौन जन्म का पाप, पड़ी है विपदा भारी।
हाथ अर्थ से तंग, गात में रोग विकारी।।
कह बाबा मुस्काय, नियत है तेरी खोटी।
नित्य किए आघात, समझकर बातें छोटी।।
©दुष्यंत ‘बाबा’