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4 Dec 2025 · 1 min read

ध्वस्त सारी मान्यताएं हो गई हैं

ध्वस्त सारी मान्यताएं हो गई हैं
अनगिनत अब वर्जनाएं हो गई हैं
बेखबर हैं लोग अपनी ज़िन्दगी से
आज इतनी व्यस्तताएं हो गई हैं
डॉ.अर्चना गुप्ता
04.12.2025

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