शीर्षक:- त्यौहार बन आया जनता दरबार
शीर्षक:- त्यौहार बन आया जनता दरबार
कवि शाहबाज आलम “शाज़”
सप्ताहिक “शाज़” में जब पर्व उतर आया,
जनता के आंगन में खुशियों का दीप जलाया।
अब फरियाद नहीं, अब इंतज़ार नहीं,
समस्या का होगा समाधान मौके पर यहीं।
हर पंचायत में सजेगा जनता दरबार,
अब न भटकें लोग बारंबार।
हेमंत दादा का ये उपहार अपार,
मईया सम्मान का सबको मिलेगा अधिकार।
बरहेट प्रशासन की यही पुकार,
आओ भईया… आओ मईया… जनता दरबार।
जाति, आय, आवास का प्रमाण मिलेगा,
हर जरूरतमंद का अरमान खिलेगा।
जन्म–मृत्यु की उलझन दूर होगी आज,
राशन, भूमि, दाखिल-खारिज भी मिलेगा सहज राज।
भूमि मापी से पेंशन तक हर सुविधा साथ,
अब सरकारी सेवा पहुँचे सीधे आपके हाथ।
शिविर बनेगा उम्मीदों का उजास,
जहाँ अधिकारों से जुड़े हर एक साँस।
और जनता से ये भी गुहार,
मूल दस्तावेज लाएं संग, फोटोप्रति तैयार।
ताकि प्रक्रिया में ना हो कोई अड़चन,
हर काम हो सरल, सुगम, बिना विघ्न।
अधिकारियों को दिया गया साफ निर्देश,
समयबद्ध हो कार्य, हो पारदर्शी परिवेश।
ताकि योजना का सच्चा लाभ मिले जन-जन तक,
और भरोसे की रोशनी पहुँचे हर आंगन तक।
आओ इस परिवर्तन के साक्षी बनें,
जहाँ सरकार और जनता एक संग चलें।
क्योंकि ये केवल आयोजन नहीं सरकारी ऐलान,
ये है लोक-सेवा का सच्चा सम्मान।
(कवि शाहबाज आलम शाज़ युवा कवि स्वरचित रचनाकार सिदो-कान्हू क्रांति भूमि बरहेट सनमनी निवासी 816102)