ऑनलाइन लोन: गले की फाँस न जाए
ऑनलाइन लोन, डिजिटल युग की एक ऐसी सुविधा है जिसने वित्तीय ज़रूरतों को चुटकी में पूरा करने का वादा किया है। स्मार्टफोन पर एक क्लिक, कुछ ज़रूरी दस्तावेज़ अपलोड, और मिनटों में आपके खाते में पैसा। यह सुविधा जितनी आकर्षक है, उतनी ही ख़तरनाक भी हो सकती है। आपकी बात बिल्कुल सही है, “सस्ते और आसान लोन की पेशकश” वाले कॉल आज लगभग हर किसी को आते हैं, और यही वह पहला संकेत है जहाँ हमें सावधान हो जाना चाहिए।
रोज़ाना के कॉल: आकर्षण या जाल: आपको मिलने वाले कॉल्स की प्रकृति को समझना बहुत ज़रूरी है:
• सस्ते और आसान लोन की पेशकश: ये अक्सर फ़िनटेक कंपनियों, अनरजिस्टर्ड ऐप्स या सीधे-सीधे ठगों की तरफ़ से आते हैं। उनकी मार्केटिंग का मुख्य हथियार “न्यूनतम दस्तावेज़,” “तुरंत मंज़ूरी,” और “कम ब्याज दर” का झांसा होता है।
• बैंक या वित्तीय संस्थान का हवाला: कई बार आपको फ़ोन आता है कि वे आपके खाताधारक बैंक से बोल रहे हैं। यह एक आम फ़िशिंग (Phishing) तकनीक है जिसका उद्देश्य आपका विश्वास जीतना होता है, ताकि आप अपनी निजी और वित्तीय जानकारी साझा कर दें।
• किसी भी नई वित्तीय सुविधा की तरह, ऑनलाइन लोन के भी अपने लाभ और जोखिम हैं।
फ़ायदे
सुविधा और गति: यह सबसे बड़ा लाभ है। लोन के लिए बैंक की शाखा जाने की ज़रूरत नहीं। प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन होती है और पैसा अक्सर 24-48 घंटों में या कुछ ऐप्स में मिनटों में खाते में आ जाता है।
न्यूनतम दस्तावेज़: पारंपरिक लोन की तुलना में, ऑनलाइन लोन में अक्सर केवल आधार कार्ड, पैन कार्ड और सैलरी स्लिप/बैंक स्टेटमेंट जैसे बुनियादी दस्तावेज़ों की ज़रूरत होती है।
पारदर्शिता: रजिस्टर्ड और प्रतिष्ठित प्लेटफॉर्म पर, लोन की शर्तें, ब्याज दरें और शुल्क स्पष्ट रूप से बताए जाते हैं, जिससे कागज़ी कार्रवाई की जटिलता कम होती है।
कम क्रेडिट स्कोर पर भी उपलब्धता: कुछ फ़िनटेक कंपनियाँ उन लोगों को भी लोन देती हैं जिनका सिबिल स्कोर (CIBIL Score) पारंपरिक बैंकों की ज़रूरी सीमा से थोड़ा कम होता है।
नुकसान और ख़तरे
उच्च ब्याज दरें: सुविधा की कीमत चुकानी पड़ती है। कई ऑनलाइन पर्सनल लोन की ब्याज दरें 15% से 35% प्रति वर्ष तक हो सकती हैं, जो पारंपरिक बैंक लोन से काफी अधिक है।
छिपे हुए शुल्क: प्रोसेसिंग फ़ीस, विलंब शुल्क, और प्री-क्लोजर चार्ज (Pre-closure Charges) बहुत ज़्यादा हो सकते हैं, जिससे प्रभावी लागत (Effective Cost) बढ़ जाती है।
ठगी का ख़तरा: बाज़ार में सैकड़ों फ़र्ज़ी लोन ऐप्स मौजूद हैं जो डेटा चोरी और अत्यधिक वसूली (Harassment) के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
निजता का उल्लंघन: अनधिकृत ऐप्स लोन देने से पहले आपके फ़ोन की कॉन्टैक्ट लिस्ट, गैलरी और लोकेशन तक पहुँच (Access) मांगते हैं, जिसका दुरुपयोग वसूली के समय किया जाता है।
ठग ऐसे करते हैं काम
1. लुभावना विज्ञापन और कॉल: वे Google Play Store/App Store (नकली ऐप्स के लिए) या सोशल मीडिया पर आकर्षक विज्ञापन डालते हैं। कॉल्स में वे आपको “प्री-अप्रूव्ड” (Pre-Approved) लोन का झांसा देते हैं।
2. नकली ऐप और डेटा चोरी: जब आप उनके लिंक से कोई ऐप डाउनलोड करते हैं, तो वह ऐप आपकी सभी निजी जानकारी (कॉन्टैक्ट्स, SMS, गैलरी) चुरा लेता है, भले ही आपको लोन मिले या न मिले।
3. उच्च ‘प्रोसेसिंग फ़ीस’ की माँग: वे कहते हैं कि लोन मंज़ूर हो गया है, लेकिन इसे खाते में भेजने के लिए आपको पहले ‘प्रोसेसिंग फ़ीस,’ ‘टैक्स,’ या ‘इंश्योरेंस फ़ीस’ के नाम पर कुछ हज़ार रुपये जमा कराने होंगे। यह पैसा ठग ले लेते हैं और उसके बाद आपका नंबर ब्लॉक कर देते हैं।
4. छोटी अवधि और अत्यधिक ब्याज: असली मगर अनधिकृत (Unauthorised) ऐप्स बहुत छोटी अवधि (जैसे 7 दिन या 15 दिन) के लिए लोन देते हैं, लेकिन ब्याज दर इतनी अधिक होती है कि चुकाना मुश्किल हो जाता है।
5. वसूली और उत्पीड़न (Harassment): अगर आप समय पर भुगतान नहीं कर पाते, तो ये ऐप्स आपके चुराए गए कॉन्टैक्ट लिस्ट पर कॉल करके आपको और आपके परिचितों को धमकाते हैं, आपकी बदनामी करने की धमकी देते हैं।
ब्याज दर (Interest Rates): ब्याज दरें पूरी तरह से लोन के प्रकार और देने वाले संस्थान पर निर्भर करती हैं:
• रजिस्टर्ड फ़िनटेक/NBFCs: प्रतिष्ठित और RBI से रजिस्टर्ड कंपनियों में ब्याज दर आमतौर पर 12% से 30% प्रति वर्ष (Annual) रहती है, जो आपके क्रेडिट स्कोर पर निर्भर करती है।
• अनरजिस्टर्ड/धोखाधड़ी वाले ऐप्स: ये ऐप्स दिखावे के लिए कम ब्याज दर बताते हैं, लेकिन जब आप इसे प्रभावी वार्षिक प्रतिशत दर (Annual Percentage Rate – APR) में बदलते हैं, तो यह सैकड़ों प्रतिशत तक पहुँच सकती है। उदाहरण के लिए, एक 7 दिन के लोन पर 1% प्रतिदिन की दर से ब्याज लगाना, एक साल में 365% से अधिक हो जाता है।
• बैंक/सरकारी संस्थान: आपके अपने बैंक से मिलने वाले ऑनलाइन लोन की ब्याज दरें अमूमन सबसे कम (जैसे 10% से 18%) होती हैं, लेकिन उनकी प्रक्रिया थोड़ी सख्त हो सकती है।
क्या करें
1. RBI रजिस्ट्रेशन चेक करें: जिस भी ऐप या कंपनी से लोन ले रहे हैं, उसकी वेबसाइट या ऐप के विवरण में चेक करें कि क्या वह भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा किसी बैंक या NBFC (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) के साथ रजिस्टर्ड है या नहीं।
2. नियम और शर्तें ध्यान से पढ़ें: लोन की राशि, ब्याज दर, प्रोसेसिंग फ़ीस, और सबसे ज़रूरी APR (वार्षिक प्रतिशत दर) को ध्यान से पढ़ें।
3. ऐप की रेटिंग और रिव्यू चेक करें: Google Play Store या App Store पर ऐप के रिव्यू पढ़ें। अगर बहुत से लोगों ने उत्पीड़न या अत्यधिक शुल्क की शिकायत की है, तो उस ऐप से दूर रहें।
4. अपनी ज़रूरत को प्राथमिकता दें: केवल तभी लोन लें जब बहुत ज़रूरी हो और आपको पता हो कि आप इसे आसानी से चुका सकते हैं।
क्या न करें
1. प्री-अप्रूवल फ़ीस न दें: अगर कोई आपसे लोन मिलने से पहले ‘इंश्योरेंस’ या ‘प्रोसेसिंग फ़ीस’ के नाम पर पैसा माँगता है, तो वह सीधा-सीधा ठगी है। लोन की प्रोसेसिंग फ़ीस हमेशा लोन की राशि से काटी जाती है, पहले जमा नहीं कराई जाती।
2. अनजान ऐप्स को एक्सेस न दें: किसी भी ऐप को अपने कॉन्टैक्ट्स, SMS, और गैलरी तक पहुँचने की अनुमति न दें। वैध लोन ऐप्स को इसकी ज़रूरत नहीं होती।
3. ऊँची दरें स्वीकार न करें: अगर कोई NBFC 30% से ज़्यादा की ब्याज दर ले रहा है, तो अन्य विकल्प देखें।
4. धमकियों से न डरें: अगर कोई अनधिकृत ऐप आपको धमकाता है, तो डरें नहीं। तुरंत साइबर सेल में शिकायत करें।
5. हमेशा अपने बैंक से या किसी प्रतिष्ठित और RBI-रजिस्टर्ड NBFC से ही लोन लें। ऑनलाइन लोन एक सुविधा है, इसे ‘ज़िम्मेदारी’ के साथ इस्तेमाल करें।
निष्कर्ष: ऑनलाइन लोन को एक सहायक सुविधा बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि उपभोक्ता लालच के बजाय विवेक से काम लें। सस्ते और त्वरित लोन का झाँसा देने वाले अनधिकृत और उच्च ब्याज दर वाले ऐप्स से बचना ही सुरक्षा की कुंजी है। यदि आप केवल RBI द्वारा पंजीकृत बैंकों और N BFCs से ही, पूरी शर्तों और उच्च APR को समझकर, और अपनी निजता की रक्षा करते हुए लोन लेते हैं, तो यह सुविधा आपके लिए एक वरदान सिद्ध हो सकती है। अन्यथा, यह न केवल वित्तीय बोझ (Financial Burden) बल्कि मानसिक उत्पीड़न (Harassment) का कारण बनकर ‘गले की फाँसी’ बन सकती है।
ऑनलाइन लोन लेते समय सुविधा नहीं, बल्कि सुरक्षा और वैधता (Legitimacy) पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।