दफन करके वापस लौट जाएंगे।
शीर्षक :- दफन करके वापस लौट जाएंगे।
कवि शाज़ ✍️
हर एक दिल से तुम यूँ मिटा दिए जाओगे,
वक़्त की धूल पर नाम भी ढूँढे न मिलोगे…
जिनके लिए आज मरने–मारने की क़समें खाते फिरते हो,
उन्हीं के दिलों में, मरने के कुछ ही दिनों बाद
तुम यादों की परछाईं बनकर रह जाओगे…
यह दौलत, यह शोहरत, यह रुतबा, यह इश्क़—
सब साथ छोड़ देंगे,
दो गज की मिट्टी पर सफ़ेद कफ़न संग
रिश्तेदार दफ्न करके वापस अपनी दुनिया में लौट जाएंगे।
बच्चे—माँ—पत्नी—भाई—बहन
रोएंगे भी, गिड़गिड़ाएंगे भी…
पर आँसुओं के सैलाब में भी
तुम तक वापस पहुँच न पाएंगे।
कुछ दिनों बाद, बस कभी–कभी
किसी की सूखी आँखों में तुम्हारी याद का धुआँ उठेगा…
तुम्हारा यह आलीशान महल,
ठंडी रज़ाइयाँ, गर्मियों के कूलर,
सब बेकार हो जाएंगे—
क्योंकि तुम तो एक अंधेरी, अनजानी कोठरी में
बिना रोशनी, बिना आवाज़
हमेशा के लिए सुला दिए जाओगे…
(शाहबाज आलम शाज़ युवा कवि स्वरचित रचनाकार सिदो-कान्हू क्रांति भूमि बरहेट सनमनी निवासी)