यूं टूटी जानलेवा रस्म
गाँव सोथापुर में एक अजीब रस्म थी। जब कोई बारात रवाना होती तो दूल्हे की माँ कुएँ में पैर लटकाकर बैठ जाती। बेटा कहता, ‘माँ, आप उठें, मैं बहू लाकर आपका ख़याल रखूँगा।’ बच्चों के सवाल पर एक ही जवाब मिलता-“क्योंकि हमारे बुजुर्ग ऐसा करते थे।”
12 साल के समझदार आहिल को विज्ञान बहुत पसंद था। वह हर बात का कारण जानने की कोशिश करता था। एक दिन गाँव से मोहन की बारात जानी थी। ढोल-नगाड़े बज रहे थे। भीड़ में आहिल भी खड़ा था। अचानक शोर मचा-“चलो, दूल्हे की माँ कुएँ पर बैठने जा रही है!” आहिल ने देखा-मोहन की माँ कुएँ के किनारे बैठ गई थी। उसके पैर कुएँ में लटके हुए थे।
आहिल घबरा गया, उसे कुएँ की गहराई मालूम थी। काई आने से कुएँ की दीवार फिसलन भरी हो गई थी। वह चिल्लाया-“आंटी, वहाँ मत बैठिए! नीचे गिर सकती हैं!” भीड़ में कुछ लोग हँस पड़े। “आहिल, तुम बच्चे हो… बड़ी-बड़ी बातें मत किया करो।” पर आहिल चुप नहीं रहा। आहिल ने पूछा-“माँ बेटे का प्यार दिखाने के लिए क्या ख़तरों से खेलना जरूरी है? कोई जवाब नहीं दे पाया। मोहन की माँ बोलीं-“बेटा, यह तो हमारी परंपरा है।” आहिल ने कहा-“परंपरा अच्छी हो तो निभानी चाहिए, खतरा हो तो नहीं। कुएँ में इंसान गिर सकता है…साँप, कीड़ा, कुछ भी हो सकता है!”
आहिल ने कोर्स में पढ़ा था कि कुएँ की दीवारें पुरानी होने पर गिर सकती हैं, फिसलन बढ़ने पर दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है, पानी गहरा और खतरनाक होता है। उसने समझाया-“हम अपनी माँ से प्यार दिखाना चाहते हैं तो उन्हें खतरे में क्यों डालें?” भीड़ में एक बुजुर्ग धीरे से बोले-“सालों पहले ऐसी ही रस्म में एक महिला कुएँ में गिरने से मर गई थी।
अचानक पूरा माहौल बदल गया। दूल्हा आगे आया और बोला-“माँ, मैं आपको हमेशा ऐसे ही प्यार करूँगा, आपकी सेवा करूँगा, लेकिन इस रस्म के लिए आप अपनी जान खतरे में न डालें।” मोहन की माँ की आँखें भर आईं। वह तुरंत उठ गईं। गाँव वालों ने फैसला किया। सरपंच ने सबके सामने घोषणा की-“आज से यह कुएँ वाली रस्म बंद! प्यार दिखाने के लिए जान खतरे में डालना अंधविश्वास है। हम वैज्ञानिक सोच के समझदार लोग हैं।” गाँव वालों ने तालियाँ बजाईं। आहिल मुस्कुरा रहा था।
सीखः अंधविश्वास चाहे कितना भी पुराना क्यों न हो, अगर वह किसी की जान को खतरे में डाले तो उसे छोड़ देना ही समझदारी है। वैज्ञानिक सोच हमें सच दिखाती है और सच हमेशा डर से ज्यादा मजबूत होता है।
18-Nov-2025