Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
17 Nov 2025 · 3 min read

संत सौरभ पाण्डेय पर आधारित कहानी

**सामाजिक कहानी

“वो व्यक्ति, जिसने सौहार्द का बीज बोया”**
सौहार्द शिरोमणि संत डा. सौरभ पाण्डेय पर आधारित

गोरखपुर ज़िले का एक छोटा-सा गाँव—भस्मा। शांत, सरल, पर अपनी समस्याओं में उलझा हुआ। इसी गाँव में सुबह-सुबह एक घर से भजन की मधुर ध्वनि निकलती थी। उस घर में बड़े हुए एक बालक के मन में हमेशा एक सवाल रहता—

“दुनिया में धर्म तो अनेक हैं, पर मनुष्यता क्यों नहीं एक?”

वह बालक आगे चलकर बने—
सौहार्द शिरोमणि संत डा. सौरभ पाण्डेय।

लोगों को जोड़ने की शुरुआत

युवा सौरभ जी जब भी किसी विवाद, किसी तनाव, या गलतफहमी को देखते, तो उनका मन बेचैन हो उठता। उनके भीतर एक ही भावना थी—
“किसी को तो आगे आकर जोड़ों की बात कहनी होगी।”

एक बार कौड़ीराम इलाके में दो समुदायों के बीच आपसी मतभेद बढ़ गए। लोग तर्क से ज़्यादा भावनाओं में बोल रहे थे। तभी सौरभ जी आगे बढ़े।

उन्होंने कहा—
“यदि हम एक-दूसरे की आवाज़ सुन लें, तो बहुत से झगड़े शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाते हैं।”

लोग थमे। सुने। समझे।
और उसी शाम कौड़ीराम ने पहली बार सर्वधर्म मैत्री संवाद आयोजित होते देखा, जहाँ सभी ने साथ बैठकर चाय पी और गलतफहमियाँ दूर कीं।

धरा धाम की कल्पना : एक बीज बोया गया

इन अनुभवों ने उनके मन में एक पवित्र स्वप्न जन्म दिया—
एक ऐसा स्थान…
जहाँ धर्म नहीं, सौहार्द केंद्र में हो।
जहाँ मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च एक ही परिसर में खड़े होकर प्रेम की गवाही दें।
जहाँ पूजा और अरदास के साथ-साथ मानवता की साधना हो।

इसी स्वप्न से जन्म लिया—
“धरा धाम सर्वधर्म सद्भाव विश्व पीठ” की अवधारणा ने।

लोग हैरान थे—
“क्या यह संभव है?”
“क्या दुनिया इतने बड़े विचार को स्वीकार करेगी?”

लेकिन सौरभ जी कहते—
“कल्पना ही हर सृजन की जननी होती है।”

शिलान्यास का ऐतिहासिक क्षण

अंततः वह दिन आया जब अत्यंत श्रद्धा और वैश्विक सद्भाव की कामना के साथ
धरा धाम का शिलान्यास सम्पन्न हुआ।

जल, मिट्टी, मंत्रोच्चार, प्रार्थनाएँ—
सबने मिलकर उस स्थान को एक दिव्य ऊर्जा से भर दिया।
हालाँकि निर्माण अभी शुरू होना बाकी था, लेकिन विश्वास की नींव गहरी हो चुकी थी।

लोग कहते—
“सौरभ जी, अभी तो बस पत्थर रखे गए हैं…”
और वे मुस्कुराकर जवाब देते—
“हाँ, लेकिन दिलों में सौहार्द की दीवारें बननी शुरू हो चुकी हैं।”

मानवता की राह पर कदम-कदम

शिलान्यास के बाद उनका सफर और तेज हो गया—

• गरीबों के लिए शिक्षा अभियान
• रोगियों के लिए स्वास्थ्य कैंप
• युवाओं के लिए नशा-मुक्ति जागरूकता
• किसानों के लिए सहयोग कार्यक्रम
• पर्यावरण संरक्षण के लिए 36,500 वृक्षारोपण का मिशन
• तीसरे लिंग के सम्मान हेतु टैलेंट हंट
• राष्ट्रीय एकता के लिए संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम

जहाँ कोई पीड़ा होती, वहाँ वे पहुँच जाते।

लोग कहते—
“सौरभ जी, आप अकेले इतना क्यों कर लेते हैं?”

वे हँसकर कहते—
“मैं अकेला नहीं… मेरे साथ मानवता खड़ी है।”

विश्व संदेश का दीपक

धीरे-धीरे उनके प्रयास सिर्फ गोरखपुर तक सीमित नहीं रहे।
राज्य, देश, विदेश—हर ओर उनकी सोच की गूँज पहुंचने लगी।

उन्होंने कहा—
“धर्म बदलने से कोई बड़ा नहीं होता, सोच बदलने से दुनिया बदल जाती है।”

लोगों ने उस वाक्य को अपने जीवन का मंत्र बना लिया।

कहानी का वर्तमान और भविष्य

आज धरा धाम के निर्माण की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है।
अभी ईंटें नहीं लगीं, भवन नहीं बने, पर—
आस्था के भीतर एक विशाल धरा धाम जन्म ले चुका है।

हर वह व्यक्ति जो मिलकर चलना चाहता है,
हर वह दिल जिसमें प्रेम है,
वह इस स्वप्न का हिस्सा बन चुका है।

यह कहानी अभी समाप्त नहीं—
बल्कि धरा धाम का इतिहास लिखे जाने की शुरुआत है।

Loading...