लघु कथाएं।
१.वर्तमान चोर संत कबीर।
-आचार्य रामानंद मंडल।
एकबेर संत कबीर बेटा संग चोरी करे गेल रहलन कारण कि साधु संत के सेवा करे के लेल हुनका घर मे अन्न न रहैय। वो सेंध खनलन।आ बेटा के कहलन कि एके बोरा अन्न के चुरा लाव। जौं दोसर बोरा लायब त हम हल्ला क के अन्न मालिक को बता देब।बेटा एक बोरा ले आयल आ दोसर बोरा लाबे सेंध मे प्रवेश करे लागल कि बाबू हल्ला थोड़े करतन।वो वोहिना कहैत हतन।परंच संतकबीर हल्ला क देलन कि घर मे चोर पैसल होव।जागा हो। अन्न मालिक जाग गेल देखलन कि संत कबीर हतन।सभ वृत्तांत जान के मालिक एक बोरा अन्न देके विदा क देलन।
वर्तमान मे एगो चोर शिव मंदिर मे शिव लिंग पर के चांदी के सर्प चुराबे के लेल पैसल।चोर पहिले शिव लिंग के बार बार नमन कैलक आ चांदी के सर्प शिव लिंग से निकाल लेलक। पुनः नमन क के मंदिर से निकल गेल।वो शिव भक्त चोर रहय।आइयो संत कबीर जैसन संसार मे शिव भक्त चोर हय।
-आचार्य रामानंद मंडल सीतामढ़ी।
२.हमरे सभके
-आचार्य रामानंद मंडल।
जाड़ा के भोर
चौधरी बस मिथिला के सांस्कृतिक राजधानी दरभंगा तेजी से जा रहल हय।
बस मे ऊनी चादर से देह झंपले केवल मुंह दिखाइत..
मिश्र जी बोललन-कि यौ झा जी।इ छोटका मे तेजका हमरे सभके न…..
पिछला सीट पर बैठल महतो जी एगो वित्त रहित महाविद्यालय के प्राचार्य बोललन -कि यौ मिश्र जी —-
बड़का सभ मे के बागड़ केकर…. हमरे सभ के न..
मिश्र जी बोललन – प्राचार्य महोदय अंहु एही बस मे..…
मिश्र जी,झा जी आ महतो जी ठठ्ठा के हंस लैन..
हहा! हहा! हहा!
-आचार्य रामानंद मंडल सीतामढ़ी।
३.कटहर मटन।
-आचार्य रामानंद मंडल।
एक जमाना मे…
सरकार! सरकार!
जिरतिया बाजल -सरकार।अपना बीस बिघा खेत पर कौमनिस्ट लाल झंडा गाड़ देलक हय।
महंत जी बजलन -अपन सिपाही कंहा हय।बुलाके जल्दी थाना पर भेजा। दरोगा जी के खबर दा।
सिपाही साइकिल से थाना पहूंच के खबर देलन।
दरोगा जी पांच पुलिस संग आ धमकल।
जीप आवाज सुन के कौमनिस्ट सभ भाग गेल।
आबि महंतजी मुस्लिम दरोगा जी के स्वागत मे जुट गेलन।
दरोगा जी आ पांचों पुलिस भोजन कैलन।
महंतजी पुछलैन -दरोगा जी भोजन केहन लागल।
दरोगा जी बजलन -सभ चीज त ठीके रहल।परंच कटहर के तीमन त एकदम गोस्त लेखा लागल हय।
महंतजी कुछ न बजलन।जौ पुलिस टीम चल गेल त मैनेजर के बोललन -आइ से मठ मे कटहर के तीमन न बनत।आ न कहियो बनल।
परंच आइ होटल मे कटहर मटन मिलैत हय आ बैष्णव सभ कटहर के मटन खाइत हय।
-आचार्य रामानंद मंडल सीतामढ़ी।
४.परोपकार!
आचार्य रामानंद मंडल।
एगो वित्त रहित महाविद्यालय के प्रबंधन समिति के अध्यक्ष राम लाल महतो आ सचिव प्रो चतुरानन झा रहलन। समिति के बैठक के तैयारी चल रहल हय।
सचिव बोललन -बड़ा बाबू। डोनेशन वाला फाइल लाउ।
बड़ा बाबू -जी। फाइल।
सचिव बोललन -बताउ के सभ डोनेशन देले हतन।
बड़ा बाबू मिश्र जी बोललन -प्रोफेसर मे दस गोरे। कर्मचारी में दस गोरे।
सचिव -आरक्षित वाला सभ डोनेशन हमरा नाउ मे जाय दियौ।
तबे अध्यक्ष जी पधारलैन। छौ गो सदस्यो आ गेलन।
प्रबंध समिति के बैठक शुरू भेल।
सचिव बोललन -अध्यक्ष जी।हम एगो बेइमानी कैली हय। आरक्षित प्रोफेसर आ कर्मचारी के डोनेशन हम अपना नाम से क ले ली हय। अंहा जनबे करैय छी कि हम गरीब छी। बिना डोनेशन के हम सचिव त न रह सकी छी।कि प्राचार्य जी!हम ठीक क रहल छी न!
प्राचार्य अशरफ हसैन बोललन -जी। जी।
सभ सदस्य बोले लगलन -हं।हं।हं।
अध्यक्ष बोललन -सभ के तरफ से हं हय त हमरो तरफ से हं हय।इ कोनो गलत काज न हय। परोपकार मे त इ सभ चलबै करय छै।
अध्यक्ष महोदय के अनुसार आइ के बैठक समाप्त कैल जाइ हय।
@आचार्य रामानंद मंडल सीतामढ़ी।
५.सुबुद्धि।
-आचार्य रामानंद मंडल।
एगो चाय के दुकान पर चाय सुरकैत ……
सहर्ष मिथिला मे समाचार पढ़ैत..
कोशी कमला के बाढ से मिथिला तबाह।
हजार लोग घर से बेघर।भूखल -पियासल लोग भटकैत।
झा जी तमतमायैत बोललन- सरकार से कोनो तरह के सुविधा न मिल रहल हय।
न बचाव।न राहत। अनर्थ हो रहल हय।
नीतीश के भगवान सुबुद्धि देथुन।
बेंच पर बैठल पासवान जी बोललन -कि भगवान के अपना सुबुद्धि न हय।
@आचार्य रामानंद मंडल सीतामढ़ी।