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16 Nov 2025 · 1 min read

बेमतलब

करते करते बेमतलब हम बेमतलब हो गए
किए कार्य अब तक सब बेमतलब हो गए

जब संग चले थे कभी हम जिनके वो पल
आज की रंगत में रंगकर बेमतलब हो गए

जैसे गुल चुनकर कोई सजाया गुलशन हमने
आज उसी गुलशन के रंग बे मतलब हो गए

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