✍🏼कलम की ताकत✍🏼
राष्ट्रीय निष्पक्ष पत्रकारिता दिवस पर
सभी मीडिया बंधुओं को समर्पित
— कवि शाज़
शीर्षक :- कलम की ताकत
मैं अपनी कलम से वही लिखता हूँ
जिससे किसी बेबस को उसका हक़–अधिकार मिल जाए।
मैं कवि शाज़ हूँ…
ज़ुल्म की रातों में भी सच की एक चिंगारी बचाए रखता हूँ।
मैं गोलियों से वार नहीं करता,
मैं तो शब्दों की वो गोली दागता हूँ
जो काग़ज़ पर उतरकर
किसी के सोए हुए हक़ को जगा देती है।
क्योंकि मेरी कलम की स्याही में
ख़ुदा की दी हुई रूह बसती है—
इसकी एक लकीर,
किसी की ज़िंदगी की दिशा बदल देने की ताक़त रखती है।
बम–बारूद की गूंज पलभर का ज़हर है,
पर कलम की आवाज़ सदियों तक
सच का पहरा देती है।
इसलिए ऐ दोस्त…
अपनी कलम को नफ़रत के ख़ून से कभी न भिगोना,
कहीं तेरे एक शब्द से किसी मासूम की साँसें न टूट जाएँ।
कलम को दुआ बनाकर चल—
ताकि तेरी हर लिखावट
इंसानियत का उजाला बनती जाए।
— कवि शाज़
(शाहबाज आलम शाज़ युवा कवि स्वरचित रचनाकार सिदो-कान्हू क्रांति भूमि बरहेट सनमनी निवासी)