दिल्ली हमले पर कविता। 11/11/2025
काश्मीर हूं दिल्ली से अब न्याय मांगने आया हूं।
दिल्ली बालों को भारत के घाव दिखाने आया हूँ।।
हम इनकी चिकनी चुपड़ी बातों में फिर से छले गए,
वो भारत के हृदय पट पर बम के गोले चला गए।
भारत अब कहता है इनके कुकर्मों का नाश करो,
पाकिस्तानी कुत्ता हो तो गोली मारो साफ करो।
हम ही जहरीले सर्पों को दूध पिलाते आए हैं,
अपनी संस्कृति का आधा ही पाठ पढ़ाते आए हैं।
आतंकी भारत के हृदय पर बम गोले चला गए,
गंदी नाली के कीड़े दिल्ली में गोले चला गए।
आतंकी दामन के सारे दाग दिखाने आया हूँ।
दिल्ली वालों को भारत के घाव दिखाने आया हूँ।।
समय किंतु अब बोल रहा है भारत इनको समझाए,
गांधी को अब तक देखा अब भगत सिंह भी दिखलाए।
विस्फोटों पर दिल्ली क्यों चुप बैठी ये भी बतलाए,
बाहर आए दुनिया से बोले उनको भी समझाए।
गर आतंकी हमला निकला दिल्ली चुप न बैठेगी।
आतंकी तो क्या उनके अब्बा की खैर नहीं होगी।।
उनको दिल्ली बतला दे अब भारत न डरने वाला,
आतंकी हमलों से कच्चा वो अब न पड़ने वाला।
अल्टीमेटम जारी कर दे आतंकों के आका को,
उर्दू भाषा में समझा दे पाकिस्तानी सेना को।
गर घुसपैठी बैठे होगे दिल्ली जम्मू में घुसकर।
भारत का झंडा होगा लाहौर कराची के अंदर।।
लेकिन दिल्ली अपनी दुबकी राजनीति में बैठी है,
चुप है कुछ भी कहने को वो परमिशन की आदि है।
सच तो ये है हमने अपने स्वविवेक को खोया है,
खुद से ज्यादा दुनिया के बारे में हमने सोचा है।
अमेरिका से डरकर हमने अपनी भाषा बदली है।
क्रोध की अग्नि भड़की होने पर भी संधि कर ली है।।
भगत सिंह दिल्ली वालों पर शर्मिंदा होते होगे,
गांधी जी भी कही बैठकर चुपके से कहते होगे।
हिंसक जानवरों को माफी जैसे शब्द नहीं होगे,
हमले के जिम्मेदारों के धड़ पर शीश नहीं होगे।
अभिषेक सोनी “अभिमुख”
ललितपुर, उत्तर–प्रदेश