बाल कुंडलिया छंद
करे गिलहरी हर समय ,भाग-दौड़ भरपूर।
कुतर-कुतर फल खा रही,लगे पेड़ पर दूर।।
लगे पेड़ पर दूर,दौड़ सरपट चढ़ जाती।
लंबी झबरी पूँछ, सदा रहती लहराती।
बनी धारियाँ तीन,पीठ पर देह छरहरी।
नन्हा प्यारा जीव,खूब श्रम करे गिलहरी।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय