उसका हर इक ग़म से किनारा होता,
उसका हर इक ग़म से किनारा होता,
काश वो सख्श अब भी हमारा होता।
इश्क का दरिया भी समुंदर होता,
उसको जो कस्ती का सहारा होता।
इश्क में कहता है सिकंदर खुद को,
इश्क में होता तो वो हारा होता।
अभिषेक सोनी “अभिमुख”
ललितपुर, उत्तर–प्रदेश