#भाजपा_के_भीष्म
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■ “आडवाणी” : आज़ाद भारत के दूसरे “पटेल।”
★ जीवेत शरदः शतम।
■(प्रणय प्रभात)■
आधुनिक भारत की नई राजनैतिक महाभारत के एक और पितामह। राजनीति, सत्ता और संगठन के प्रति निष्ठावानों के लिए केंद्र से हाशिए पर धकेले गए एक जीवंत उदाहरण।
रिटायर-हर्ट हो कर सियासी पैवेलियन में समय से पहले विराजित होने पर बाध्य किए गए एक नॉट आउट प्लेयर। अब देश के मैदान, जीवन की पिच और उम्र की क्रीज़ पर शतक की ओर अग्रसर।
देश के सर्वोच्च नागरिक अलंकरण “भारत-रत्न” के साथ उपकृत। जो देर से ही सही, दे ही दिया सियासत ने। आगा-पीछा, नफ़ा-नुकसान, भला बुरा भली भांति भांप कर। वो भी जीते-जी। इस मृत-पूजकों के देश में।
आज सुर्खियों से परे संघर्ष का एक छला गया किरदार। आयु के शतक में बस 02 ही रन रहे हैं आज शेष। जीवन की पिच पर जमे रहें आपके क़दम। यही हैं हमारी व उन सबकी हार्दिक मंगलकामनाएं, जो साक्षी हैं आपकी अग्रणी भूमिका और कीर्तिमय संघर्ष के। साथ ही तनिक भयभीत नहीं हैं तंत्र से। अपनी निशक्तता या हितपूर्ति की आस के कारण।
98वीं सालगिरह पर दिल से सलाम स्वाधीन भारत के दूसरे सरदार (पटेल) को, जिनके साथ कुत्सित राजनीति ने खेला कपट का खेल। ऐसे में बनता ही है एक सवाल…- “अंधियारे में किसने डाला…?
पूछ रहा है आज उजाला…।।”
बहरहाल, हाल-फ़िलहाल एक ही नारा, तुम्हारा-हमारा। भारत-रत्न आडवाणी जी ज़िंदाबाद। ज़िंदाबाद, ज़िंदाबाद। दल-वल नहीं, केवल दिल की भावना से।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)
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#सनद_रहे
(किसी दल से मेरा कोई सरोकार नहीं। मैं “समय” हूँ)