बाल पहेलियां
पैर नहीं, पर चलती जाऊँ
पग-पग सबका साथ निभाऊँ
लुप्त हुई हूँ तम आते ही
सूरज के मैं संग संग आऊँ
पल में सबका हाल बता दूँ
दूरी है, पर बात करा दूँ
मन बहलाने का हूं साधन
मेरे अंदर खोजी इंजन
मैं पाषाण, कभी हूँ बादल
रूप बदलता हूँ मैं पल-पल
सूरज मेरा पक्का दुश्मन
अंत समय बन जाता हूं जल
खुशियों में हम साथ निभाते
क्रोधित जिनकी उपमा पाते
मनमोहक सा रूप दिखाकर
बच्चों को हम खूब लुभाते
जो तम को दूर भगाता है
बच्चों को खूब लुभाता है
प्रेमी का उपमान वही है
माँ से भइया का नाता है
आदि कटूं तो टैक्स बनूं मैं
अंत कटूं तो हास्य करूं मैं
एक इशारा और सुनो तुम
मध्य कटे तो जोर करूं मैं
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1. परछाईं, 2. मोबाइल, 3. बर्फ, 4. गुब्बारा, 5. चाँद, 6. जोकर।