नानक नाम जहाज
न कोई हिंदू न कोई मोमिन,
सारे हैं इंसान,
सबका सृजनहार एक है
सबका इक भगवान।
बाहर बेशक रीति अनेकों,
अंदर इक ओंकारा।
सबका पालनहार एक है
सबका इक करतारा।
मिलकर रहो बांट कर खाओ,
नाम जपो हे!भाई।
मनमुख जगत दुखी है सारा,
सुख गुरु की शरणायी।
सतगुर पर्व की लख्ख बधाई,
नाम जहाज सहारा।
सृजन नानक जग में आयो
बनकर खेवनहारा।