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5 Nov 2025 · 1 min read

कह प्यासा कविराय

05.11.25
एक कुंडलियां :-
धोखा से हासिल किए, गाड़ी पैसे चार।
पर दुखियों के हाय से,बचा न कुछ साकार।।
बचा न कुछ साकार, सूर्य ज्यों अस्त हो गया।
धन दौलत व्यापार,महल सब ध्वस्त हो गया।।
कह प्यासा कविराय, यही जग लेखा जोखा।
खटकत है जिय माहि,किये क्यों जग से धोखा।
✍️ प्यासा

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