दया दृष्टि करिए
राम नाम अनमोल,जो दे ज्ञान चक्षु खोल।
हर दिन आठों याम, राम नाम जपिए।
कृपासिन्धु सुखधाम, भक्तवत्सल श्रीराम।
राम नाम अमृत को,कभी नहीं तजिए।
धर चरणों में ध्यान,राम को ही सब मान।
भक्ति भाव हर क्षण,राम नाम भजिए।
सकल गुणों की खान, अतुलित बलवान।
कर भक्ति राम नाम,भव सिन्धु तरिए।।
नारायण अवतार, माता सीता भरतार।
प्रभु आएं तेरे द्वार,पीर तन हरिए।
जगत पालनहारी, शूरवीर धनुधारी।
कृपा दृष्टि कर नाथ,गेह मम भरिए।
रटूं नित राम नाम,दूजा नहीं कोई काम।
मेरी पर्ण कुटिया में,पग प्रभु धरिए।
सुनो मेरी भी पुकार, दीनबंधु करतार।
मुझपे भी सबरी सी,दया दृष्टि करिए।।
स्वरचित रचना-राम जी तिवारी”राम”
उन्नाव (उत्तर प्रदेश)