Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
4 Nov 2025 · 1 min read

तन्हा रातें और स्नेह भरी सुबह

शीर्षक :- तन्हा रातें और स्नेह भरी सुबह”

रचनाकार :- शाहबाज आलम शाज़

रात की चुप्पी में जब सन्नाटा बोलता है,
दिल का हर कोना कोई किस्सा खोलता है।
नींद आँखों से रूठी, ख्वाब कहीं खो जाते हैं,
करवटों में यादों के साये झिलमिलाते हैं।

कभी डर लगता है उन अधूरी बातों से,
कभी दिल बहलता है बीते लम्हों के नज़ारों से।
चाँद की फीकी रोशनी जैसे समझाती है,
“हर अँधेरी रात के बाद सुबह आती है।”

और फिर न जाने कब नींद दस्तक देती है,
थके हुए दिल को कुछ सुकून देती है।
सपनों के आगोश में जब खो जाता हूँ,
देखो — फिर वही स्नेह भरी सुबह पा जाता हूँ।

मो. शाहबाज आलम शाज़
Md Shahbaz Alam Barhait Sahibganj jharkhand

युवा कवि स्वरचित रचनाकार सिदो कान्हू मुर्मू क्रांति भूमि बरहेट सनमनी निवासी

Loading...