जब 'डायन' है महँगाई...(स्वच्छंद कविता)
क्यों जाते हो सवाल पूछने,
तर्क-वितर्क करने,
सरकार से महँगाई पर?
जबकि तुम्हीं कहा करते हो,
“महँगाई डायन खाए जात है।”
महँगाई यदि ‘डायन’ है,
तो सरकार से सवाल क्यों?
बुलाओ किसी तांत्रिक को,
क्योंकि,
डायन को भगाने का उपाय तो
तांत्रिक ही बताएगा।
कविता- आकाश महेशपुरी
दिनांक- 01/11/2025