कह प्यासा कविराय
एक कुंडलियां : –
सज्जन दुर्जन से भरा,पूरा यह संसार l
प्रेम सृजन में लगे कुछ , कुछ के कटु व्यवहार।।
कुछ के कटु व्यवहार, सत्य को झूठ बताना।
खुद का भ्रष्टाचार, सर दूसरे मढ़ जाना।।
कह ‘प्यासा’कविराय, अनर्गल करके गर्जन।
अपनी कमी छुपाय,बने दुर्जन भी सज्जन
–‘प्यासा’