कुण्डलिया !
!! श्रीं !!
सुप्रभात !
जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
🙏
लाया क्या था साथ में, आया खाली हाथ।
सारा वैभव ईश का, तृण भी जाय न साथ।।
तृण भी जाय न साथ, किसे तू समझे अपना।
सोच जरा नादान, सत्य कब होता सपना।।
सोता गहरी नींद, बावले क्यों बौराया।।
बैठ कभी तो सोच, संग तू क्या था लाया ।।
***
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
🌷🌷🌷