पाग बनाम पगड़ी।
।पाग बनाम पगड़ी।
-आचार्य रामानंद मंडल।
आचार्य रामानंद मंडल -पाग बर्चस्ववादी संस्कृति के प्रतीक हय।पाग मिथिला के सम्मान के चिह्न कदापि न हय।पाग केवल मैथिल बाभन आ कर्ण कायथ के जातीय शिरस्त्राण हय।जे शुभ अवसर पर पहनैत हय।पाग त मिथिला के सम्पूर्ण सवर्ण के सम्मान के शिरस्त्राण न हय। अवर्ण के सिरस्त्रान मुरैठा वा पगड़ी हय। इहे सच्चाई के कारण नेपाल मे मिथिला राज्य न बनल आ मधेश प्रदेश बन गेल।
राम नरेश यादव -मिथिला आ मिथिला सँ बाहिर बहुसङ्ख्यक आबादीक सांस्कृतिक पहिचान अछि,पगड़ी।
किशन कारीगर -पिछलगुआ सोलकन सब सेहो पागक देखौंस करै जाइ हइ.. आ हाकरोस सेहो.
गिरिजानंद झा -आधुनिक समाज में पाग सांस्कृतिक परिषद् सब द्वारा मिथिला मैथिल केर सम्मानक प्रतीक बनेवाक प्रयास श्लाघणीय मुदा ब्राह्मण के बेटा आब शेरवानीक संग किछु आओरे पहिरि वियाह करय लागल अछि। विचारणीय तखन सेहो।
बद्रीनाथ राय -Girija Nand Jha मैथिल विद्वज्जन सँ साग्रह निवेदन जे पाग ब्राह्मण के कून संस्कार में देल जाएत अछि ?? बताउ पागक उल्लेख कून संस्कार में अछि??
यदि ओ संस्कार जाहि व्यक्ति के नहि भेल अछि। त हुनका पाग पहिरे के अधिकार नहि छैन। ताहि हेतु प्राचीन परम्परा छल जे ब्राह्मणेतर एहि पाग के प्रायः उपयोग नहि करैत छल।ओ एकटा शास्त्रीय सिद्धांत छल नहि की जातिवाद।लेकिन आब एहि सिद्धांत के कुनू सीमा मे नहि राखि सकैत छी। सर्वाधिकार भ गेल अछि। पाग प्रकरण दरभंगा में भेल ओ निन्दनीय अछि लेकिन ओहो सँ अधिक निन्दनीय रहैत अछि विद्यापति समारोह मे गैर मैथिल के नेता सभ के पहिला दैत छथि ओहो पर विचार करि जे नेताजी सभ के गाड़ी मे पैरक नीचा मे फेकल रहैत अछि ओ सम्मान के प्रतीक पाग कियाक त पाग के लहर आब आगू विद्यापति समारोहे मे त विचारणीय…….जिनका जतेक ज्ञान ओहि हिसाबे सम्मान।
त्रिपुरारी झा मैथिल पण्डिजी के फेसबुक वाल से
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बद्रीनाथ राय -सम्पूर्ण मैथिल समाज के प्रति पगक अपमान और सम्मान पूर्ण रूप से अन्यायपूर्ण है। पग बोल बराबर और जनरल मैथिलक ले सुलभ नत्री भेल। Pag हर दिन नफरत ऊंच नीच जज्बात भरा है,. दुनिया और नफरत करने वाले रंग में रंगी है। पग जाति विशेष पहचान और सम्मान सही इस विशेष विषय के बारे में जनरल मैथिल की सोच पूरी तरह अनुचित है। लोक मैथिल अपणी पगडी की इज्जत कर यहीं रख। जनता के इस पागल विवाद से दूर रहे ताहिमे कल्याण पगड़ी पूर्ण शोषण उत्पीड़न गरीबी का प्रतीक है।
बुचरू पासवान -मिथिलाक वैदिक पारम्परिक परिधान धोती, कुर्ता,दोपटा आओर
मांथ पर पाग मिथिला मैथिलक अछि शान ,गुमान विश्व भरि मे
विशिष्ट नाम।तकरा भेल अछि अपमान ।एकरा कतबो निन्दा कयल जाय तं कम्मे होयत।हमर संस्कृति पर कुठाराघात भेल अछि।हम एकर घोर प्रतिक्रिया प्रकट करैत छी।
विनय प्रतिहस्त -की पाग ककरो माथ पर द देबाक चाही। आहा क संस्था सेहौ थोक भाव मे सब के पहिराबय लागल तकरे सबहक प्रतिफल अछी।।
नबोनाथ झा -अपनेक विबाह पाग पहिर कऽ भेल अछि की मौउर पहिर कऽ??सपत अछि सत्य कहब।
आर एस दीवाना -पाग संस्कृति मनुवादी आंतकवादी संस्कृति की भडुआगिरी पहचान है।
आचार्य रामानंद मंडल -पाग बर्चस्ववादी संस्कृति हय। आइयो केते लोग पाग के जनैत हय।खास के दलित आ ओबीसी।
महेंद्र नारायण राम -पागक अपमान समस्त मिथिलाक संस्कार ओ संस्कृतिक अपमान अछि..
बुचरू पासवान -मिथिला मे रहय वाला सब मैथिल छथि
पाग मिथिला आ मैथिलक प्राचीन संस्कृति क मान,
सम्मान,गुमान आ विश्व भरि मे पहिचान थिक।
नवीन कुमार -मिथिला में ब्राह्मण आ कायस्थ छोड़ि कोन जाति-समुदाय में पागक प्रचलन छैक?
मुकेश आनंद -ई पाग विश्व भरिमे सबकेर माथ पर हो…
पाग सम्मानक प्रतीक अछि तऽ सबकेर माथ पर कियैक नहिं। एहि लेल वामपंथ आ दक्षिणपंथक की प्रयोजन।
धर्मशास्त्र हो वा संविधान, अध्यात्म हो वा सनातन एहि बात पर एकमत अछि जे सब मानव सम्मानक अधिकारी अछि। अज्ञानक प्रतिकार हेबाक चाही, खोप सहित कबूतराय नम: नहिं। सम्यक ज्ञान सँ एहि प्रतीकक सब अधिकारी भऽ सकैत अछि।
आचार्य रामानंद मंडल -अनुचित।आब कोई कहे इस्लामी टोपी, कोई कहे गांधी टोपी, कोई कहे सिख के पगड़ी विश्व के माथ पर हो।इ सम्मान के प्रतीक हय। बिल्कुल गलत हय।इ त बर्चस्ववादी विचार हय।पाग विश्व के माथ पर हो। इ कदापि उचित न हय। हां। कोनो भी शिरस्त्राण के सम्मान होय के चाही।
सत्य नारायण झा,-पाग आइकाल्हि बाबूभैयाक सोहारी भए गेलैक अछि।कोम्हरो सॅ आउ आ दुटा सोहारी खा लिअ।कोनो रोक टोक नहि।तहिना पाग भए गेल।कुकुर,वानर ,चोर उच्चका कनेक कतौ किछ केलक हुनका पाग पहिरा सम्मानित कएल जाइछ। पागक अपन महात्म छैक।बरका बरका विद्वान पाग पहिरैत छलाह। औरत के पाग पहीरबाक प्रथा नहि छलैक।मंडन मिश्र,वाचस्पति,के पत्नी पाग नहि पहिरलनि।पहिने जॅ कोनो खराब काज कोनो औरत करैत छलीह त लोक कहै बाप दादाक पाग खसा देलकै अर्थात बाप दादाक प्रतिष्ठा माटि मे मिला देलकै।मैत्री,गार्गी,भारती सभ कहियो पाग नहि पहिरलनि आ ने हुनका लोकनि के पाग पहिरा सम्मानित कएल गेलनि।औरत जॅ पाग पहिरे त ओकर औरदा छिन्न होइत छैक। आइ काल्हिक बहुत पैघ विद्वान औरत सेहो पाग पहिरैत छथि।जनैत छोट काज करैत छथि।जेहने सम्मानित करय वाला तेहने लेबय वाली।विद्यापति पाग पहिरैत छलाह मुदा हुनकर पत्नी पाग नहि पहिरैत छलखीन।पागक महत्व क्षीण भय रहल छै।औरत के सम्मानित शाल दोशल्ला सॅ करबाक नियम छैक।मोमेन्टो सॅ सम्मानित कएल जाइछ।
कहावत छैक कौआ कुकुर मेनजन भेल गुहे गुह टार ।सैह भए गेल छैक।वैह कारण जे पाग फेकल जा रहल छैक।एहि पर मैथिल सम्प्रदाय चिन्तन मनन करथि ।
पं दयानंद झा -पागक व्यवहार नियोजित हो
कुणाल -विद्यापति के काल मे ई पाग छल की?
अजीत कुमार -इस शिरास्त्राण को धारण करने पर मांस-मछली -मदिरा नहीं खाना चाहिए, किन्तु अपने यहां फैशन के तौर पर फोटू शूटिंग कराकर जातिविशेष के लोगों में अधिकतर गिद्ध भी दर्रर जाते हैं।
आशुतोष झा -पाग के पागि देल गेल तैं लोक पागल भेल।
आचार्य रामानंद मंडल -पाग मिथिला के सम्मान नहि , केवल जाति विशेष के शिरस्त्रान हय।
अशोक मिश्र -पागक मर्म – पागक मर्यादा पर खतरा मंडरायत त, सदति घटत शान आओर अभिमान। रहू सचेत यौ सदिखन मैथिल, अन्यथा होयत एकर भीषण परिणाम।।
मिथिलाक पाग नहि अछि मस्तक केर ताज मात्र, पाग़ थिक मिथिलाक गौरव आओर मूल पहिचान। जाबत धरि रहत ई पाग, रहब हमरा सब सदति गौरवान्वित, पाग थिक मिथिलाक अस्मिता आर आन वान व शान।
पाग़ थिक शोभा आर ज्येष्ठ आर पुरुखा सबहक नेह, मिथिलाक हर विध विधान में पागक थिक उचित स्थान। स्नेह, प्रेम, आदर, संस्कारक प्रतीक थिक अपन पाग, लाल पीअर पाग रहत माथ पर त, भेटत खूब सम्मान।
पागक रक्षा करब थिक अप्पन नैतिक आ मुख्य कर्तव्य, देशक राष्ट्रीय ध्वज जकाँ दी एकरा सर्वोच्च सम्मान। मुकुट में मणिक समान लागय, माथ पर ई सुन्दर पाग, मैथिल ब्राह्मणक लेल पाग थिक मर्यादा आ उचित मान।
हरसट्ठे बिना सोचने समझने नै पहिराऊ किनको पाग, सबके शीश नै छनि पागक लेल, से राखू नीक सँ भान। मिथिलाक लेल निष्कलंक भ क जे व्यक्ति बढौलथि पैर, ओ व्यक्ति के अधिकारी मानि करी पाग सँ मान सम्मान।
मिथिला में जन्म ल क जँ नै क पेलौं यदि पागक रक्षा, कथमपि नै बचि पायत मिथिला मैथिलक अभिमान। सुनू, पागक दुरूपयोग कखनो आर कतौ जूनि करू, अन्यथा निश्चय छीनी जायत आहाँक आर मिथिलाक गुमान।
पागक रक्षा करबाक संग अप्पन सोच आ कर्म नीक राखू, नै त धिक्कारल जायब सब ठाम, आर ने बचत अभिमान। पाग थिक तागधारी ब्राह्मण पुरुषक इज्ज़त आ मर्यादा, जे प्रमाणित करैत छथि, श्रेष्ठजन आ बुढ़ महान।
भ रहल छगुंता देखि क, पागक मान में भारी गिरावट, मैथिल लोकनि आबो त जागू आर लीअ पूर्णतः संज्ञान। पागक रग-रग में अछि मिथिलाक छवि नीक सँ बसल, पाग पहिर क माथ पर, लागी मिथिला के संतान।
अहूँ जानिते छी नीक जकाँ जे, की सम्मान छियै पागक, हम बच्चे सँ सुनैत छी, “हे धिया राखब सदति पागक मान”। विद्यापति, वाचस्पति, मंडन मिश्र पाग पहिरलनि, मुदा सुधीरा, मैत्री, गार्गी, भारती खूब राखलथि पागक मान।
पुरुष के पाग, स्त्री के घूँघट आ कुमाइर धिया के ओढ़नी हो, आऊ, सभ मैथिल मिलि क ली अहि बात के पूरा ज्ञान। पाग थिक सच, सनातन, सदाचारक आर सादगीक प्रतीक, माथक पाग सँ, सम्मानित होइछ खानदान।
पागक अपमान थिक अस्मिता पर पूर्ण रूप सँ आघात, फेर नै आयत कहियो चेहरा पर आहाँक सात्विक मुस्कान। कहथि “अशोक” पाग थिक सभ मैथिलक अभिमान पुरान, आऊ, बचाबी सभ मिलिक पागक स्वाभिमान।
उपर्युक्त कमेंट पर विचार करैत इ स्पष्ट हय कि पाग मैथिल ब्राह्मण आ पगड़ी गैर ब्राह्मण के शिरस्त्राण हय।
-आचार्य रामानंद मंडल सीतामढ़ी।