*भाईदूज*
भाईदूज
सदा समर्पण और त्याग का मन में इक सागर बहता है।
भगिनी तेरे निश्छल व्रत से यम का द्वार टला करता है।
भाई का है भाग्य बदलने वाली चुटकी भर रोली।
नेह तिलक से बहिन तुम्हारे जीवन भरा-भरा रहता है।
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अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’