गोवर्धन गिरिराज
गीतिका
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गोवर्धन गिरिराज, उठाते मुरलीधर।
भक्तों के रक्षार्थ, कृष्ण आते चलकर।
वृंदावन का धाम, सभी को प्रिय लगता,
आते हर्षित भाव, खिले मुखड़े सुन्दर।
गीता का उपदेश, दिया है गीता में,
चलें कर्म की राह, ध्यान मत दें फल पर।
हरते सबके कष्ट, दया के सागर हैं,
प्रभु चरणों में नित्य, झुकाएं अपना सर।
गिरिवर हैं हिमवान, कृपा सब पर करते,
धन्य धाम कैलाश, जहां रहते ईश्वर।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य