फिल्म विद्यापति (1937) समीक्षा।
फिल्म विद्यापति (1937) समीक्षा।
-आचार्य रामानंद मंडल।
बंगाल फिल्म सेंसर बोर्ड द्वारा पारित फिल्म विद्यापति के आधार पर विद्यापति के जीवन विवादास्पद हय। फिल्म मे विद्यापति के घर बिस्फी बतायायल गेल हय। परंच मिथिला नगरी के अलग। मिथिला के राजा शिव सिंह आ महारानी लखिमा। फिल्म मे विद्यापति के पुराना नौकर मधुसूदन हय जे विद्यापति के पालन पोषण कैले हतन। विद्यापति हुनका दादा कह के पुकारैत हतन।विस्फी गाम के एकटा लरकी अनुराधा हय जे विद्यापति से प्रेम करैत हय। विद्यापति एकटा प्रसिद्ध प्रेम के कवि बतायल गेल हय। परंच वो प्रेम गीत काम गीत बन गेल हय।काम गीत से मिथिला राज के युवा -युवती बिगड़ रहल हय। समाज पर दुष्प्रभाव पर रहल हय।विद्यापति से लोग नाराज़ हय। परंच राजा शिव सिंह अपन मित्र विद्यापति के प्रधानमंत्री के राय के विपरित राजकवि बनैबैत छथि। बिस्फी से विद्यापति संग अनुराधा सेहो मिथिला नगरी आ गेल हय।महारानी लखिमा विद्यापति के प्रेमगीत से प्रभावित होइत विद्यापति से प्रेम करे लागल हतन। परंच राजा शिव सिंह लखिमा से प्रेम करैत छतन।राज दरबार विद्यापति आ लखिमा से काफी नाराज़ हय।
अइ वीच मिथिला पर दुश्मन के आक्रमण खबर पर राजा शिव सिंह युद्ध भूमि मे जाइत छतन। कोनो कारण वश युद्ध रूक जाइ हय। परंच प्रधानमंत्री द्वारा राजा शिव सिंह युद्ध भूमि मे रूकल रहैत छतन।परंच जैइ दूत के संवाद से रूकल छतन वो लखिमा के प्रेम आ आवाहन के बात पर राजा शिव सिंह मिथिला राज लौटत हतन। लखिमा के तन प्रेम के कारण राजा शिव सिंह दुखी छतन। लखिमा अपना के दुख के कारण समझैत प्राण त्याग चाहैत हय। लखिमा के पूछला पर विद्यापति अपना प्रति लखिमा के प्रेम पाप बतबैत छतन। लखिमा के प्राण त्याग के एगो इहो कारण हय।
दोसर ओर दुश्मन के आक्रमण के सूचना हय।प्रधानमंत्री समझैत हतन कि जौं तक महारानी लखिमा जीवित रहतन राजा शिव युद्ध भूमि मे न जैतन आ राज काज न देखतन। प्रधानमंत्री महारानी लखिमा के खाय ला विष दे देइत हतन। महारानी लखिमा विष खा के प्राणांत क लेइत हतन।
फिल्म विद्यापति के विवादास्पद बना देइत हय।इ त मिथिला आ मैथिली साहित्य इतिहास के विरुद्ध लगैय हय। फिल्म से उगना गायब हय।आश्चर्य इ कि बंगाल सेंसर बोर्ड फिल्म के प्रदर्शन के स्वीकृत केना कैलक।
-आचार्य रामानंद मंडल सीतामढ़ी।