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14 Oct 2025 · 1 min read

आराइश ए ख़्याल हो, और हमनवा भी हो ,

आराइश ए ख़्याल हो, और हमनवा भी हो ,
पढ़ने को हो कलाम, और दिल नवा भी हो,
अशआर पढेंगे सभी , लेकिन मलाल है मुझे ,
बीमार ए इश्क़ की मेरी, फिर से दवा भी हो ।
नीलोफर ख़ान नील रूहानी

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