Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
15 Oct 2025 · 1 min read

नींद

~~~~~~~~~~~~~~~~~
कुण्डलिया
~~~~
पढ़ते पढ़ते आ गई, मीठी मीठी नींद।
लेकिन फिर भी शेष है, चाहत और उम्मीद।
चाहत और उम्मीद, रहे अवचेतन मन में।
जीवन का आनंद, मिले विद्या अर्जन में।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, कदम आगे हैं बढ़ते।
मिले सफलता खूब, नित्य जब पढ़ते पढ़ते।
~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

Loading...