दृष्टिकोण
दृष्टिकोण
डा सुनीता सिंह सुधा
एक आंख से काने और एक पैर से लंगड़े राजा को अपनी सुंदर फोटो बनवाने का चाव चढ़ा । बहुत से चित्रकार बुलाए गए । ईनाम में मोटी रकम की बात बताई गई लेकिन राजा को जिस भी चित्रकार ने प्रत्यक्ष देखा चित्र बनाने से मना कर दिया
भला काने और लंगड़े व्यक्ति का सुंदर चित्र बन भी कैसे सकता था ?
राजा बहुत निराश हुआ । तभी एक चित्रकार ने अपने हाथ ऊपर उठाते हुए बोला महाराज मैं आपका सुंदर चित्र बना सकता हूं। राजा के चेहरे पर हर्ष की लहर दौड़ गई।
चित्रकार राजा को एक कक्ष में ले जाकर एक तख्त पर बैठा दिया और स्वयं उन्हें घंटों निहारता रहा ,जब चित्रकार ने अपना दृष्टिकोण तय कर लिया तो राजा से बोला महाराज दो दिनों के बाद आपका चित्र आपको मिल जाएगा । राजा आत्मविश्वास से भरा महल में अपनी गद्दी पर आ गया।
आज तीसरे दिन रामलीला मैदान में राजा के चित्र का अनावरण राजा के हाथों होना था । नगरवासियों समेत अन्य दूसरे चित्रकार व दूसरे राज्यों से आए मेहमान इकट्ठे हो गए । सभी के चेहरे पर चित्र को देखने की उत्सुकता थी
वहीं दूसरे चित्रकार भयभीत थे कि यदि चित्र राजा को पसंद नहीं आया तो आज इस चित्रकार की मौत निश्चित है। जिस चित्रकार ने चित्र बनाया था उसके चेहरे पर तेज झलक रही थी । राजा ने चित्रकार की ओर देखकर चित्र का पर्दा हटाया ।
राजा का चित्र देखकर सबकी आंखें फटी की फटी रह गई। राजा स्वयं बहुत खुश हुआ और चित्रकार को गले से लगा लिया। तालियों की गड़गड़ाहट और महाराज की जय के नारे गूंजने लगे तभी राज ने कहा जयकार तो इस चित्रकार का होना चाहिए। इसके दृष्टिकोण का मैं कायल हो गया। इसने मेरे सारे ऐब को छुपाते हुए एक सुंदर चित्र का निर्माण किया।
राजा का चित्र चित्रकार ने बड़ी जीवंतता से बनाया था । राजा को चित्र में बैठाकर एक पैर पीछे कर दिया और हाथों में तीर धनुष थमाकर एक आंख बंद कर सामने निशाना साधते हुए दिखाया। जिसमें ऐब छिप गए और राजा वीरता साहस और धैर्य प्रतिमूर्ति दिखा । वह राज चित्रकार घोषित हुआ और बहुत -सा उपहार प्राप्त किया।
दोस्तों हमारा दृष्टिकोण महत्वपूर्ण होता है।आप किसी चीज को किस तरह देख रहे हैं और क्या निर्माण कर रहे हैं यह महत्वपूर्ण है। असुंदर में भी सुंदरता की कल्पना ही आपका श्रेष्ठ गुण है।
डा सुनीता सिंह सुधा ©®
वाराणसी
14/10/2025