अब तो ले लो अवतार प्रभु
बढ़ गया पाप बहु धरती पर, व्याकुल सारा संसार प्रभु।
पाप मिटाने वसुंधरा का,अब तो ले लो अवतार प्रभु।।
मानव ही अब तो मानव का ,आज बन बैठा दुश्मन है।
अब दुर्जन मानव के कारण, जटिल सज्जन नर जीवन है।
अब दीन-हीन निर्बल मानव, हर दिन सताए जाते हैं।
दौलत सत्ता के बल पर,अशक्त डराए जाते हैं।
नया रूप फिर से धर आओ,करने जग का उद्धार प्रभु।
पाप मिटाने वसुंधरा का,अब तो ले लो अवतार प्रभु।।
लक्ष्मी स्वरूप अब नारी का,जग में हो रहा शोषण है।
दुष्ट दुशासन जैसे नर का, सत्ता कर रही पोषण है।
आए दिन अब चौराहे पर, स्त्री का मान मर्दन होता।
पुलिस प्रशासन बस चुप बैठा, कायरों के जैसे सोता।
जो नर दुराचार करते हैं ,उन दुष्टों को दो मार प्रभु।
पाप मिटाने वसुंधरा का,अब तो ले लो अवतार प्रभु।।
दौलत के भूखे नेतागण, दीन जनता को लूट रहे।
मोटी रिश्वत देकर पापी, कारागार से छूट रहे।
न्यायालय में भी निर्धन को,अब उचित न्याय न मिलता है।
न्यायालय में भी केवल अब,धनी का सिक्का चलता है।
देकर गीता का अमित ज्ञान, प्रज्ञा सबकी दो सुधार प्रभु।
पाप मिटाने वसुंधरा का,अब तो ले लो अवतार प्रभु।।
जाति धर्म के नाम पे नित्य,देश में होते दंगे हैं।
निर्धन के बस बालक भूखे,धनी के शिशु सब चंगे हैं।
अपने बस स्वारथ के कारण, शत्रुता कराई जाती है।
बैठ मजे से अपने घर में,जनता लड़ाई जाती है।
जग को देने फिर आ जाओ, भगवद्गीता का सार प्रभु।
पाप मिटाने वसुंधरा का,अब तो ले लो अवतार प्रभु।।
अपने ही अब तो अपनों की,लोभवश गर्दन काट रहे।
मात-पिता के जीते जी घर,कई भागों में बाँट रहे।
भाई ही अब तो भाई का,घोर दुश्मन बन बैठा है।
दूजे के बहकावे में आ, स्वयं भाई से ऐंठा है।
मिटा बैर सारी दुनिया से, अन्तर्मन भर दो प्यार प्रभु।
पाप मिटाने वसुंधरा का,अब तो ले लो अवतार प्रभु।।
स्वरचित रचना-राम जी तिवारी”राम”
उन्नाव (उत्तर प्रदेश)