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13 Oct 2025 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक
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दाग तन का हटाया, हटा ही नहीं।
शून्य को था घटाया, घटा ही नहीं।
दीप हमने बहुत थे, जलाए मगर।
मन में छाया अंधेरा, मिटा ही नहीं।।
~ राजकुमार पाल (राज) ✍🏻
(स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित)

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