कुण्डलिया छंद
!! श्रीं !!
सुप्रभात !
जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
🙏
पावन है अति प्रेम का, भाव ईश सा जान।
बसे प्रेम जिनके हृदय, होते बहुत महान ।।
होते बहुत महान, न प्रतिफल प्रेमी चाहें।
करते केवल प्रेम, दुआ को उठती बाहें ।।
कहे ‘ज्योति’ जब प्रेम , बरसता मन के आँगन।
उमगे उर में नेह, प्रेम होता अति पावन ।।
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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