माँ का पाठशाला
हम हैं माँ का मीठा सपना
श्याम सलोना घर का मूरत
घर आँगन का एक मैं सूरत
माँ में है परमात्मा का वास
माँ पिता का मुझे है सहारा
मैं हूँ इनके आँखो का तारा
जीना सीखा माँ ऑचल में
ज्ञान मिला माँ के वट छाया
मैं हूँ माँ के प्राणों से आया
जीवन का मैं एक अरमान
दुःख को लेकर सुख देती
माले मनकों पिरो रखती
जगत में पहली शिक्षा देती
दया धर्म का पाठ पठाती
विद्या ज्ञान की ज्योत जलाती
मूरत सूरत निखारती माँ
सबसे बड़ी विद्याशाला माँ
हे !नन्हें प्यारे प्यारे जन मन
मां से कभी ना करना अनमन ॥
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टी .पी .तरुण’