गगन को धरा की स्वीकृति तो मिले
गगन को धरा की स्वीकृति तो मिले
नील को कमल की अनुभूति तो मिले
बूंदों में बदलकर हवाएं भू पर लहर हो जाएंगी
जल को ऊष्मा की प्रीति तो मिले।।
गगन को धरा की स्वीकृति तो मिले
नील को कमल की अनुभूति तो मिले
बूंदों में बदलकर हवाएं भू पर लहर हो जाएंगी
जल को ऊष्मा की प्रीति तो मिले।।