#तेवरी
#तेवरी
अंदर अंदर छन प्यारे।।
(प्रणय प्रभात)
* तन लेकिन कम तन प्यारे।
तुर्रम खां मत बन प्यारे।
* माना तू है ख़ास ज़रा।
जन फिर भी है जन प्यारे।।
* क्या सफेद क्या काला है।
धन केवल है धन प्यारे।।
* सुख में सुखी न रह पाया।
आज दुखी है मन प्यारे।।
* कचरा बाहर आने दे।
अंदर अंदर छन प्यारे।।
* एक पराया दिखे नहीं।
तब है अपनापन प्यारे।।
* मन मस्ती में मचले तो।
घर ही है लंदन प्यारे।।
* सत्यानाश जवानी का।
अच्छा था बचपन प्यारे।।
* तितली बन जी भर जी ले।
पल भर का जीवन प्यारे।।
* शीशा हटा सामने से।
दर्पण तेरा र्मन प्यारे।।
* मटका फोड़ नहीं देना।
सब सूखे हैं घन प्यारे।।
* चार दिनों के मेले में।
काहे की अनबन प्यारे।।
* कल अमृत भी निकलेगा।
चलने दे मंथन प्यारे।।
* दिल मजनू सा पगला है।
लैला सी धड़कन प्यारे।।
* बाहर की सरगर्मी पर।
भीतर सिहरन है प्यारे।।
* आग बुझ गई यौवन की।
बूढ़ी है ठिठुरन प्यारे।।
* छोटा हो दरवाज़ा तो।
नीची रख गर्दन प्यारे।।
*धर्मराज मत मान इसे।
ये है दुर्योधन प्यारे।।
संपादक
न्यूज़&व्यूज (मप्र)