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26 Sep 2025 · 1 min read

उत्सव की पीड़ा

दूर्गा पूजन में
वृद्धाश्रम के पास
एक पांडाल में
जोर जोर से बज रहा था
एक गीत
‘बेटा के घरे कब अइबू ये माई’

किंतु यह गीत
शायद नहीं था
उस माँ के लिए

जिसके जिवंत कानों तक
पहुँच रही थी यह आवाज

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 25/09/2025

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