#गीत-
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■ गुमनाम न कर…!!
【प्रणय प्रभात】
हर नाता है बेनाम किसी के इन्हें नाम ना कर।
आँसू से रचे हैं तूने गीत इन्हें यूं गुमनाम ना कर।।
मन कहता है मरना बेहतर, दिल कहता है जीने दे,
तू विषपायी गरल-पान कर अमृत जग को पीने दे।
आँसू को छुपाना सीख, प्यार बदनाम ना कर।
आँसू से रचे हैं तूने गीत इन्हें यूं गुमनाम ना कर ।।
साथ लिए फिरता हो दुनिया उस बंजारे का घर क्या,
जिसे उजालों ने लूटा हो उसे अँधेरों से डर क्या?
लुटने की चिंता छोड़, छोड़ कोहराम ना कर।
आँसू से रचे हैं तूने गीत इन्हें यूं गुमनाम ना कर।।
जले अगर दीपक बन कर जल तब जलना है ठीक तेरा,
हर ठोकर पर एक सबक़ ले तब चलना है ठीक तेरा।
जीवन भर दे जो संताप, कभी भी वो काम ना कर।
आँसू से रचे हैं तूने गीत इन्हें यूं गुमनाम ना कर।।
संघर्षो में जो जीता है वही नाम कर जाता है,
छोटा सा जीवन भी अक़्सर बड़े काम कर जाता है। जीवन है तपस्या एक, इसे तू इल्ज़ाम ना कर ।
आँसू से रचे हैं तूने गीत इन्हें यूं गुमनाम ना कर ।।
■प्रणय प्रभात■
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)