हर हृदय में
गीतिका
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हर हृदय में सुलगती अगन चाहिए।
विश्व में अग्रणी निज वतन चाहिए।
लोभ लालच तजें और आगे बढ़ें,
पूर्ण करना हमें हर वचन चाहिए।
उड़ सकें सब परिंदे बिना खौफ के,
अब खुला हर तरह से वतन चाहिए।
सोच कर ही कहें यह जरूरी बहुत,
किन्तु हर बात में कुछ वज़न चाहिए।
मिल सकेगा बहुत जिन्दगी का मजा
हर समय पूर्ण भय मुक्त मन चाहिए।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य